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________________ अनेकान्त-56/1-2 37 ही अनेक संस्कृत महाकाव्यों, नाटकों, पुराणों, तात्त्विक और धार्मिक ग्रन्थो का राष्ट्रभाषा हिन्दी में अनुवाद, सम्पादन आदि कार्यो द्वारा सस्कृत, प्राकृत के जैन साहित्य के अमृततत्त्व को जनसाधारण तक पहुँचाने में कीर्तिमान स्थापित किया है। जैन पुराणसाहित्य के अनमोल रत्न रूप-आदिपुराण, उत्तरपुराण, पद्मपुराण, हरिवंश पुराण, शान्तिनाथ पुराण, धन्यकुमार चरित, पार्श्वनाथ चरित आदि जैसे विशाल संस्कृत पुराण-साहित्य के प्रमुख ग्रन्थों का सपादन और अनुवाद करके डॉ. पन्नालालजी साहित्याचार्य ने पुराणों के उद्धार और उनके स्वाध्याय की समृद्ध परम्परा को प्रचारित-प्रसारित करने का एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। प. दौलतराम जी कृत पुरानी हिन्दी रूप गद्यमय भाषावचनिका के बाद आधुनिक हिन्दी में आ. रविष्णकृत इस पद्मपुराण को आधुनिक हिन्दी भाषा मे प्रस्तुत करने का एक गुरुतर ऐतिहासिक सफल कार्य डॉ. पन्नालाल जी साहित्याचार्य द्वारा सम्पन्न हुआ है। इसके अध्ययन से ही स्पष्ट है कि साहित्याचार्य जी की भाषा सरल, सुबोध और विषयानुरूप हृदयग्राही होती है। ऐसा लगता है कि साधारण से साधारण पाठकों के सहजबोध का भी पूरा ध्यान अनुवाद करते समय उन्होने रखा है। इसलिए वे एक सफलतम हिन्दी अनुवादक के रूप में प्रसिद्ध है। संदर्भ १. क. "पद्मचरितम्' इस नाम से न्यायतीर्थ प दरबारी लाल साहित्यरत्न द्वारा सशोधित हाकर माणिकचद दि जैन ग्रन्थमाला, बम्बई से सन् 1928 - 29 मे प नाथूराम प्रेमी की भूमिका महित नीन भागो मे मूल सस्कृत भाषा में प्रकाशित ग्रन्थ। ख. प दौलतरामकृत पद्मपुराण भाषावनिका- नामक ग्रन्थ के कलकत्ता तथा श्री भा अनेकान्त विद्वत् परिषद् लोहारिया (राजस्थान) से कुछ सस्करण प्रकाशित। ग. भारतीय ज्ञानपीठ, काशी द्वारा "पद्मपुराण" नाम से मूल सस्कृत मे डॉ पन्नालाल माहित्याचार्य के हिन्दी अनुवाद सहित तीन भागो में प्रकाशित। जैनदर्शन विभागाध्यक्ष, सम्पूर्णानन्द सस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी।
SR No.538056
Book TitleAnekant 2003 Book 56 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2003
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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