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अनेकान्त-56/1-2
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परिवर्तन नही हुआ है। मगध-सम्राट श्रेणिक एवं अजातशत्रु के इतिवृत्त से यह भी सुनिश्चित है कि गगा के आर-पार स्थित विदेह एव मगध परस्पर मे विरोधी साम्राज्य रहे। ___ अब यदि मगध देशान्तर्गत नालन्दा वाले कुण्डलपुर को भगवान महावीर की जन्मस्थली मान लिया जाए, तो फिर यही मानना पड़ेगा कि भारत की चारों दिशाओ के महान साधक आचार्य पूज्यपाद (5वीं शती), आचार्य जिनसेन (8वी शती), आवार्य गुणभद्र (9वी शती), आचार्य असग (10वी शती), आचार्य पद्मकीर्ति (10वी मदी), आचार्य दामनन्दि (11वी शती), विबुध श्रीधर ( 12वी शती), प. आशाधर (13वी शती), महाकवि सकलकीर्ति (15वी शती), महाकवि रइधृ (16वी शती), महाकवि पद्म (16वी शती) एव कवि धर्मचन्द्र (17वी शती) आदि-आदि ने भगवान महावीर की जन्मभूमि विदह स्थित कुण्डलपुर (या कुण्डपुर) को जो बतलाया है, तद्विषयक उनका वह कथन क्या भ्रामक अथवा मिथ्या है? 20वी शती के प्रारम्भ से ही देश विदेश के दर्जनो प्राच्य विद्याविदो एव पुरातत्व वेत्ताओ ने भी निष्पक्ष एव दीर्घकाल तक अथक परिश्रम पर विविध जैन एव जेनेतर साक्ष्यो के आधार पर विदेह स्थित कुण्डलपुर को ही भगवान महावीर की जन्मस्थली सिद्ध किया है. तो क्या उनकी ये खोजे भी अविश्वसनीय. अनादरणीय अथवा मिथ्या है?
किसी भी देश या नगर या साहित्य का प्रामाणिक इतिहास मात्र कुछ दिनो या महिनो में तैयार नही हो जाता। वह दीर्घकालीन विविध प्रमाणों के संग्रह एव उनके तुलनात्मक अध्ययन से ही सम्भव है। विदेह-कुण्डलपुर के विस्मृत इतिहास की खोज मे सदियो का समय लगा है, निष्पक्ष इतिहासकारो ने विविध तथ्यों का सग्रह कर जब उनका तुलनात्मक अध्ययन कर उसे प्रस्तुत किया है, फिर उसमे अप्रामणिकता का प्रश्न ही कहाँ उठता है? और पूर्वोक्त दिगम्बर जैनाचार्यो ने विदेह स्थिल कुण्डलपुर स्पष्ट ही घोषित किया है तो फिर मगध का कुण्डलपुर महावीर की जन्मभूमि कैसे हो सकता है, फिर भी यदि यह परिवर्तन किया जाता है, तो गंगा के उत्तर में स्थित वैदेही सीता की भूमि---मिथिला (विदेह) आदि को भी मगध में मान लेना पड़ेगा या उन तीर्थकरो-मल्लि एवं नमि की जन्मभूमि मिथिला-विदेह को भी मगध के