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________________ अनेकान्त/55/2 2 डा. ए. एफ रूडोल्फ होर्नले, उवासगदसाओ के अंग्रेजी अनुवाद में, बिब्लियोथेका इण्डिका सीरीज, कलकत्ता, 1888. फुटनोट-8, पृ. 3-5. 3. डा. विसेन्ट ए. स्मिथ, जर्नल ऑफ दि रायल एशिएटिक सोसायटी, 1902, पृ. 267-288 तथा इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजन एण्ड एथिक्स, जिल्द-12, पृ. 567-68, सन् 1921. डॉ. टी. ब्लॉक, एक्सकैवेसन्स एट बसाढ, ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया का वार्षिक विवरण, सन् 1903-4, पृ 81-122 श्रीमती सिक्लेयर स्टेवेन्शन, दि हार्ट ऑफ जैनिज्म, ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस, 1915, पृ. 21-22 डॉ. जाल चाण्टियर, उपसाला विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, प्रथम भारतीय संस्करण, एस चांद एण्ड कम्पनी, दिल्ली, जिल्द-1, पृ 140 सन् 1955. 7. डॉ डी. पी. स्पूनर, ऑर्कियालॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया का वार्षिक विवरण, सन् 1913-14, पृ. 98-185. 8 जी पी मल्लाल शेखर, डिक्शनरी ऑफ पालिप्रोपर नेम्स, भाग-2, लन्दन, सन् 1938. पृ. 943 तथा भाग-1, पृ 64. जैनेतर-विद्वान् । सुरेन्द्रनाथ दास गुप्त, ए हिस्टरी ऑफ दण्डियन फिलॉसफी वाल्यूम-1, कैम्ब्रिज. 1922, पृ 173 ' नन्दलाल दे, द ज्याग्राफिकल डिक्शनरी ऑफ एशिएण्ट एण्ड मडिएवल इण्डिया, लदन, 1927, पृ 107 3 बी सी ला, महावीरः हिज लाइफ एण्ड टोचिग्स, लंदन, 1937 पृ 19, वैशाली अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ 169-72 4. सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन्, इण्डियन फिलॉसफी, वाल्यूम-1, इण्डियन एडीशन, 1940, पृ 291-92 5 राहुल सांकृत्यायन, दर्शन-दिग्दर्शन, इलाहाबाद, 1944, पृ 492 6 डॉ राधाकुमुद मुकर्जी, 31 मार्च 1945 को प्रथम वैशाली महोत्सव का अध्यक्षीय भाषण, वैशाली अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ 6 7. श्री रामतिवारी, ब्र चन्दाबाई अभिनन्दन ग्रन्थ, आरा, मन् 1954, पृ 666-67 8. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, भारत के प्रथम राष्ट्रपति द्वारा प्राकृत जैन शास्त्र और अहिसा शोध सस्थान के भवन का शिलान्याम करते समय दिया गया भाषण, वैशाली अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ. 103, प्रथम संस्करण की भूमिका एव महावीर स्मारक लेख, 23 अप्रैल 1956 बासुकुण्ड, वैशाली। 9. श्री रगनाथ रामचन्द्र दिवाकर, राज्यपाल बिहार, 23 अप्रैल 1956 को बारहवं वैशाली महोत्सब क अवसर पर अध्यक्षीय भाषण, वैशाली अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ ।।6-17 10. डॉ. एस. मुकर्जी, वही, पृ 120. 11. प्रो राधाकृष्ण शर्मा, ब्र. चन्दाबाई अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ. 597 12 पं नरोत्तम शास्त्री, वही पृ. 605. 13 डॉ सम्पूर्णानन्द, वैशाली अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ 394
SR No.538055
Book TitleAnekant 2002 Book 55 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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