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________________ अनेकान्त/54/3-4 एवं आयु महापुराणकार जिनसेनाचार्य एवं उत्तरपुराणकार गुणभद्राचार्य के अनुसार वर्णित हैं। टिप्पणियों में मतान्तरों के समावेश से शोधार्थी लाभ उठा सकेंगे। इसकी अलंकार योजना भी प्रशस्य है। एक मात्र कल्याणकल्पतरु के सर्वांग अध्ययन से सभी शास्त्रों का ज्ञान हो सकता है। पूज्य माताजी के स्तोत्रों के विहंगम समीक्षण से यह स्पष्ट हो जाता है कि उनकी कारयित्री प्रतिभा अलौकिक है। इनमें शान्तरस और वैदर्भी रीति है। प्रसाद गुण से सद्यः अर्थाभिव्यक्ति होती है तो माधुर्य के कारण शब्द नाचते से प्रतीत होते हैं। सूक्तियों के समावेश ने स्तोत्रों में रमणीयता ला दी है। वास्तव में माताजी द्वारा विरचित स्तोत्र भारतीय साहित्य को उनका स्पृहणीय उपहार है। 2. मौलिक संस्कृत टीका आचार्य कुन्दकुन्द द्वारा प्राकृत भाषा में प्रणीत ग्रन्थों में नियमसार का महत्त्वपूर्ण स्थान है, किन्तु उनके पञ्चास्तिकाय, प्रवचनसार एवं समयसार नामक ग्रन्थों को जितनी प्रसिद्धि मिली, उतनी नियमसार को न मिल सकी। इसका प्रमुख कारण संभवत: यही रहा है कि इसकी कोई ऐसी संस्कृत टीका उपलब्ध नहीं थी, जो आध्यात्मिक और सैद्धान्तिक दोनों दृष्टियों को सुस्पष्ट करती हो। नियमसार पर 1140 ई. में श्रीपद्मप्रभ मलधारिदेव द्वारा रचित एकमात्र संस्कृत टीका 'तात्पर्यवृत्ति' मिलती थी। टीकाओं के अनुसरण पर लिखित इस टीका में अध्यात्म को तो उजागर किया गया है, किन्तु यह अध्यात्म के साथ सिद्धान्त की संगति में अधिक सहायक नहीं है। माताजी ने नियमसार पर 'स्याद्वादचिन्तामणि' टीका दण्डान्वय एवं खण्डान्वय पद्धति से लिखी है, जिससे मूल गाथा का शाब्दिक अर्थ एवं उसका विशेष अभिप्राय एकदम स्पष्ट हो जाता है। माताजी द्वारा रचित इस टीका की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने अपने कथन के समर्थन में जैन परम्परा के 62 प्रामाणिक ग्रन्थों के सन्दर्भ एवं उद्धरण प्रस्तुत किये हैं। उभयविध नयाश्रित होने के कारण समयसारादि के टीकाकार जयसेनाचार्य के समान पूज्य माताजी को भी जैन परम्परा में स्थान प्राप्त होगा, यह असंदिग्ध है। अन्तिम गाथा की टीका में माताजी ने आर्यिकाओं को 11 अंग तक पठन-पाठन का अधिकारी
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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