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________________ अनेकान्त / २० 06. 07. 08. 09. 10. वीज हरित (अंकुरादि ) अंड अंड लयन स्नेह अंड लयन स्नेह गणित भंग वृत्तिकारों में उत्तिंग एवं लयन को लगभग समानार्थी ही माना हैं यहां दशवैकालिक का क्रम सूक्ष्म से स्थूल की ओर जाता है जबकि स्थानांग का क्रम स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाता है । यहीं नहीं स्थानांग 10.24 में गणित एवं भंग - सूक्ष्म के क्रम जोड़कर उसकी विविधा भी बढ़ा दी हैं दशवैकालिक स्थानांग का पूर्ववर्ती माना जाता हैं उसका सूक्ष्म-स्थूल-मुखी क्रम स्थानांग काल में कैसे परिवर्तित हो गया - यह विचारणीय है । पर सामान्य जन के लिये स्थानांग का क्रम अधिक वैज्ञानिक भी लगता है। इसमें अजीव सूक्ष्म कैसे छूट गये, यह भी एक विचारणीय बिन्दु है । गाथा-छंद - बद्धता को निश्चित रूप से इसका कारण नहीं माना जा सकता। फिर स्थानांग में ही गणित - सूक्ष्म एवं भंग सूक्ष्म का समाहरण भी एक प्रश्न ही है। संभवतः गणित सूक्ष्म मानसिक प्रवृत्तियों के रूप में ही समाहित हुआ हो। इस प्रकार इस प्रकरण में क्रम-व्यत्यय, सूक्ष्म भेदाधिक्य एवं वैज्ञानिकता - ये सभी तथ्य तर्क-संगतता चाहते हैं I 7. अनुयोगों का क्रम सामन्यतः यह माना जाता है कि जैन परम्परा में विविध विषयों के पृथक् रूप से वर्णन करने की अनुयोग परंपरा प्रायः पहली सदी (आचार्य आर्यरक्षित के समय से प्रारंभ हुई है। पर दोनों ही परंपराओं में इनका क्रम भिन्न-भिन्न है । दिगम्बर परम्परा में यह क्रम प्रथमानुयोग, चरणानुयोग, करणानुयोग एवं द्रव्यानुयोग के रूप में है जबकि श्वेताम्बर परंपरा में यह क्रम चरण-करणानुयोग, धर्मकथानुयोग, गणितानुयोग एवं द्रव्यानुयोग के रूप में है। यहां दिगम्बरों का प्रथमानुयोग धर्मकथानुयोग हो गया है और उसका क्रम द्वितीय हो गया है। करणानुयोग गणितानुयोग हो गया है और 'करण' का अर्थ द्वितीयक चारित्र हो गया है। चरणानुयोग प्रथम स्थान पर आया है जिसमें प्राथमिक एवं द्वितीयक चारित्र समाहित हुआ है । द्रव्यानुयोग (अध्यात्म और तत्व विद्या) का स्थान दोनों में अंतिम है। विचार करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि दिगम्बरों का क्रम अधिक तर्क-संगत है क्योंकि उदाहरण (प्रथमानुयोग - जीवन चरितों) से चारित्र की प्रवृत्ति
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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