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________________ अनेकान्त/९ नही होता और अपनी हीनता को लेकर सिर धुनता है। सिर धुनने के अतिरिक्त उसके पास कोई चारा भी तो नहीं होता और इस कारण एक ओर अपने भाग्य को कोसता है कि मेरा पुण्योदय कहाँ. जो ऐसे सर्वविघ्न विनाशक, कर्मक्षयकारी, पापनाशक विधानो में भाग ले सके तो दूसरी ओर अपने पुण्योदय के प्रसाद से अभिभूत प्रतिभागी श्रावक-गण की शान और बढा हुआ रुतबा उन्हें आत्म-मुग्ध करता है। गुरु-कृपा से कुछ राजनीतिक व्यक्तियो के परिचय का सुअवसर भी मिलता है, जो भविष्य में व्यापारिक दृष्टि से लाभकारी होता है। इस प्रकार बोनस की गारंटी भी मिल जाती है। आज-कल कोई भी धार्मिक आयोजन राजनीतिक महापुरुषों के सान्निध्य के बिना फीके-फीके से रहते है और उस आयोजन की चर्चा बडे ही बेमन और नीरस भाव से होती है। कदाचित् आयोजन कर्ताओ की लगन और मेहनत से प्रधानमंत्री, मुख्यमत्री, उद्योगमंत्री, वित्तमत्री आदि की सन्निधि मिल जाये तो आयोजन-कर्ता के प्रसन्नता का पारावार नहीं रहता। भले ही, राजनीतिक व्यक्ति का आचरण कैसा भी हो. इससे आयोजन और आयोजन-कर्ता को कुछ लेना-देना नहीं। राजनीतिक व्यक्ति के चारित्रिक पक्ष की ओर देखना न तो आयोजको को इष्ट होता है और न ही प्रेरक को, जबकि धर्मानुष्ठान मे चारित्र को सर्वोच्च वरीयता दी जानी चाहिए। चारित्रिक व्यक्ति द्वारा उद्घाटित आयोजन से कुछ चारित्र-धारण करने की प्रेरणा मिलने की संभावना तो रहती है. परन्तु इस पक्ष को सर्वथा गौण करते हुए समागत राजनीतिक व्यक्ति के साथ फोटो खिचवाने मे सभी आतुर देखे जाते है। बाद मे वे चित्र ड्राइंगरूम और व्यापारिक प्रतिष्ठानो को अलंकृत करते हैं। यहाँ भी प्रच्छन्न लाभ-हानि का लेखा-जोखा रखा जाता है। आगन्तुक व्यक्ति उन चित्रों को देखकर प्रभावित तो होता ही है साथ ही, कदाचित् कोई सरकारी अधिकारी निरीक्षण आदि के लिए आ जावे तो सहसा हाथ रखने में हिचकिचाएगा और सोचेगा कि अरे। इनके तो बडे-बडे लोगों से ताल्लुकात हैं, कहीं ऐसा न हो कि मुझे ही लेने के देने पड जाये। इस प्रकार पाठ में प्रतिभागी और मंचस्थ होने का यह परोक्ष लाभ मिलता है तो अनेक प्रकार के प्रत्यक्ष लाभ भी होते ही हैं, जिनका उल्लेख पोस्टर की उपर्युक्त शब्दावली से ध्वनित होता है। विचारणीय
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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