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अनेकान्त/१५
जैन. सेठ अमरचन्दजी कलकत्ता, श्री मिश्रीलालजी काला, गजराजजी सरावगी, नथमलजी सेठी, रतनलालजी झाँझरी आदि अनेक महानुभाव ने समय-समय पर मुख्तारजी का भार बटाया।
बौद्धिक वर्ग में श्री नाथूराम प्रेमी, बुद्धिलाल श्रावक और ए.एन. उपाध्ये उनके प्रमुख सहायक रहे। बाद में इस सूची में श्री यशपालजी जैन तथा डॉ. प्रेमसागर और रतनलाल कटारया का नाम भी जड़ा। वीरसेवा मन्दिर के शोधकार्य में और अनेकान्त के सम्पादन में पं. परमानन्दजी और पं. हीरालालजी का नाम भी उल्लेखनीय है। अनेकान्त के पुराने अंकों को, और संस्था के प्रकाशनों को देखकर ही आज मुख्तार साहब के योगदान का तथा उनके संकल्पों का अंदाजा लगाया जा सकता है। जैन साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में उनका जो अवदान है वह सैकड़ों सालों तक उनके यश को जीवित रखने के लिये पर्याप्त है।
-शान्ति सदन, सतना-४८५००१