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________________ अनेकान्त/४४ करता है, उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त लेना पड़ता है। शंकाकार कहता है कि इस तरह सूत्रों में जब वस्त्र ग्रहण निर्दिष्ट है, तब अचेलता कैसे बन सकती है। इसके समाधान में टीकाकार कहते हैं कि आगम में अर्थात् आचारांगादि में आर्यिकाओं को तो वस्त्र की अनुज्ञा है। परन्तु भिक्षुकों को नहीं है और जो है, वह कारण की अपेक्षा है। उस भिक्षु के शरीरावयव लज्जाकर हैं और जो परीषह सहन करने में असमर्थ है, वही वस्त्र ग्रहण करता हैं'। फिर इस बात की पुष्टि में आचारांग तथा बृहत्कल्प' के दो उद्धरण देकर आचारांग का एक दूसरा सूत्र बतलाया है, जिसमें मरण की अपेक्षा वस्त्रग्रहण करने का विधान है और फिर उसकी टीका करते हुए लिखा है-यह जो कहा है कि हेमन्त ऋतु के समाप्त हो जाने पर परिजीर्ण उपधि को रख दे, सो इसका अर्थ यह है कि यदि शीत का कष्ट सहन न हो तो वस्त्रग्रहण कर ले और फिर ग्रीष्मकाल आ जाने पर उसे उतार दे। इसमें कारण की अपेक्षा ही ग्रहण कहा गया है। परन्तु जीर्ण को छोड़ दें। इसका मतलब यह नहीं कि दृढ़ (मजबूत) को न छोड़े। अन्यथा अचेलतावचन से विरोध आ जायेगा। वस्त्र की परिजीर्णता प्रक्षालनादि संस्कार के अभाव से कही गयी है, दृढ़ का त्याग करने के लिए नहीं । यदि ऐसा मानोगे कि संयम के लिए वस्त्र ग्रहण सिद्ध है तो यह ठीक नहीं, क्योंकि अचेलता का अर्थ है परिग्रह का त्याग और पात्र परिग्रह है, इसलिए उसका त्याग सिद्ध है अर्थात् वस्त्र-पात्र ग्रहण करना सापेक्ष हैं जो उपकरण कारण की अपेक्षा ग्रहण किए जाते हैं, उनका जिस तरह ग्रहण का विधान है, उसी तरह उनका परिहरण भी अवश्य कहना चाहिए। इसलिए बहुत से सूत्रों में अर्थाधिकार की अपेक्षा जो वस्त्र-पात्र कहे हैं सो उन्हें ऐसा मानना चाहिए कि कारण सापेक्ष ही कहे गए हैं"। और जो भावना (आचारांग का 24वाँ अध्ययन) में कहा है कि भगवान महावीर ने एक वर्ष तक चीवर धारण किया और उसके बाद अचेलक हो गए सो इसमें बहुत सी विप्रतिपत्तियाँ हैं। अर्थात बहत से विरोध और मतभेद हैं; क्योंकि कुछ लोग कहते हैं कि उस वस्त्र को जो वीर जिनके शरीर पर लटका दिया गया था, लटका देने वाले मनुष्य ने ही उसी दिन ले लिया था। दूसरे कहते हैं कि वह काँटों
SR No.538052
Book TitleAnekant 1999 Book 52 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1999
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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