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________________ अनेकान्त, ६ नहीं है कि यह अन्तर पार्श्वनाथ के निर्वाण और महावीर के जन्म के मध्य का है या फिर पार्श्वनाथ के निर्वाण और महावीर के निर्वाण के मध्य का है। अतः उक्त दोनों प्रकार की मान्यताओं का उल्लेख प्रायः विद्वानों ने किया है। मुनि नगराज जी ने भी दोनों के निर्वाण के बीच २५० वर्ष का अन्तर मानकर पार्श्वनाथ का निर्वाण ७७७ ई.पू. (५२७ ई.पू. + २५० ई. पू. = ७७७ ई.पू.) माना है। उन्होंने अपने ग्रन्थ 'आगम और त्रिपिटक एक अनु०' में इसकी विस्तार से चर्चा की है। रीडर संस्कृत विभाग एस. डी. कॉलेज, मुजफ्फनगर सन्दर्भ : तिलोयपण्णत्ति. चउत्थो महाधियागे, गाथा ५४८ उत्तरपुराण, ७३/ महापुराण तिलोयपण्णत्ति, गाथा ५४८ उत्तरपुराण, ७३ महापुराण द्रष्टव्य-कल्पसूत्र, शीलाककृत चउपन्नमहापुरिसचरिय, हेमकृत, त्रिप० आदि। द्रष्टव्य-गुणभद्रकृत उत्तरपुराण एव पुरुषदन्तकृत महापुराण। तिलोयपण्णत्ति, गाथा ५४८ द्रष्टव्य-कल्पसूत्र, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, श्रीपार्श्वनाथचरित आदि। उत्तरपुराण, ७३/ तिलोयपण्णत्ति, गाथा ५८४ आवश्यक नियुक्ति (आगमोदय समिति बम्बई), २२१-२२२ पृ० १३६ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, १०३-१०४ द्रष्टव्य-वही, पर्व ह सर्ग ३ तिलोयपण्णत्ति, गाथा ६६६ श्रीपार्श्वनाथचरित, पञ्चमसर्ग, श्लोक ६२ तिलोयपण्णत्ति, गाथा ७०० उत्तरपुराण ७३. एव महापुराण तिलोयपण्णत्ति, गाथा ५८२ उत्तरपुराण, ७४/२७६ वही, २४/२८० का उत्तरार्द्ध २३ तिलोयपण्णत्ति, गाथा ५७६-५७७ जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश, पृ०३१ २५. द्रष्टव्य-'आगम और त्रिपिटक - एक अनुशीलन १६ उत्तर
SR No.538052
Book TitleAnekant 1999 Book 52 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1999
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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