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________________ अनेकान्त/26 होगा। जहां वस्तु में स्थित अन्य सभी धर्मों का 'निषेध' करके किसी एक धर्म का कथन किया जाता है या फिर उस धर्म का कथन किया जाता है जो वस्तु में हैं ही नहीं तब वह मिथ्याएकान्त कहलाता है। इन्हीं मिथ्याएकान्तों का जब समूह हो जाता है तब वह मिथ्या अनेकान्त बन जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई अग्नि को देखकर यह कहे कि यह काली है और कोई दूसरा उसी अग्नि को देखकर यह कहे कि यह तो भूरी है और कोई तीसरा अनेकान्ताभासी झगड़ा निपटाने की दृष्टि से यह कहे कि पहला भी सही है और दूसरा भी सही है तो यह अनेकान्त मिथ्यास्वरूप वाला होगा। इसकी कोई उपयोगिता ही नहीं है। वस्तु में अनन्त धर्म तो होते हैं किन्तु सभी धर्म नहीं। आत्मा को कोई चेतन कहे और कोई अचेतन तब उसमें प्रथम बात ही सही हो सकती है। ये दोनों बातें सही हैं-ऐसा अनेकान्त के सच्चे स्वरूप को न समझने वाला ही कह सकता है। इसी संदर्भ में हम एक और उदाहरण लें कि भारत में विभिन्न धर्म मानने वाले लोग हैं। कुछ लोग मांसाहार करते हैं और उसमें धर्म मानते हैं और कुछ इसको घोर अधर्म। बात तो कोई एक ही ठीक है। इस स्थान पर कोई बड़बोला, छद्म सम्प्रदायनिरपेक्षवादी, वोटबैंकाकांक्षी यह भाषण देता फिरे कि दोनों ही अपनी-अपनी अपेक्षा ठीक हैं तब यह मिथ्या अनेकान्त होगा। हमें अनेकान्त में प्रयुक्त 'भी' को 'ही' की नींव और धरातल पर खड़ा करना होगा, वही सच्चे अनेकान्त का स्वरूप होगा। यह दृष्टि दुराग्रह की न होकर सत्याग्रह की होगी। लोग कहते हैं अनेकान्त में आग्रह नहीं होता-ऐसा कहना गलत है। इस स्थान पर यह कहना चाहिए कि अनेकान्त में दुराग्रह नहीं होता। सूर्य तो पूरब से ही निकलेगा, कोई कहे कि पश्चिम से भी, दक्षिण से भी और यदि हम अनेकान्त का सहारा लेकर उन दोनों की बात स्वीकार करें तो यह अनेकान्त का दुरुपयोग ही होगा। क्या है सम्यक् अनेकान्त? सम्यक् अनेकान्त को भी समझने के लिए सबसे पहले सम्यक् एकान्त को समझना होगा। सम्यक् एकान्त में वस्तु में उपस्थित अन्य सभी धर्मों का निषेध न करके वरन उन्हें गौण करके कथन किया जाता है। इसी प्रकार सम्यक् एकान्तों का समूह सम्यक् अनेकान्त बन जाता है। यह उपादेय है-ग्रहण करने
SR No.538052
Book TitleAnekant 1999 Book 52 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1999
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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