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अनेकान्त
वर्ष ५१
| वीर सेवा मंदिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
अप्रैल-सितम्बर
किरण २-३
वी.नि.सं. २५२४ वि.सं. २०५५
१९९८
सीख
जीव तू अनादि ही तैं भूल्यो शिव गैलवा।
मोह पदवारि पियो, स्वपद बिसार दियो। पर अपनाय लियो, इन्द्रिय सुख में रचियो। भव तैं न भियों, न तजियो मन मैलवा॥
जीव तू०......
मिथ्या ज्ञान आचरन, धरि कर कुमरन। तीन लोक की धरन, तामैं कियो है फिरन। पायो न शरन, न लहायो सुख शैलवा॥
जीव तू०......
अब नर भव पायो, सुथल सुकुल आयो। जिन उपदेश भायो, 'दौल' झट छिटकायो। पर-परिणति, दुःखदायिनी चुरैलवा॥
जीव तू०......
-पं० दौलतराम जी