________________
अनेकान्त/33 संतोसेण य लोहं जिणदु खु चत्तारि विकसाए।।
भगवती आराधना-226 पृ 262 कोहं खमाए माणं मद्दव्या अज्जवेण मायं च। संतोसेण य लोहं जिणइ हु चत्तारि वि कसाए।। आराहणपहाया-1 (17) कोहं खमाई माणं मद्दवया अज्जवेण मायं च। संतोसेण य लोभं निज्जिण चत्तारि विकसाए।। मरणविभक्ति-5/189/938 कोहं खमाई मान च मद्दवेण 5 ज्जवेण मायं च। संतोसेण य लोहं संलिहइ लहुं कसाए तो।। आराहणापडाया-2/150/1092 विरदो सव्वसावज्जे तिगुत्तो पिहिदिदिओ। तस्स सामइगं ठाई इदि केवलिसासणं।। नियमसार-125
मूलाचार में इसका पूर्वाद्ध यथावत् पाया जाता है। उत्तरार्ध का पाठ पृथक है। उसका मूलपाठ निम्न प्रकार है....
विरदो सव्वसावज्जे तिगुत्तो पिहिदिदिओ। जीवो सामाइयं णाम संजमट्ठाणमुत्तम।। मूलाचार-7/23 जो समो सव्वभूदेसु थावरेसु तसेसु वा। तस्स सामाइगं ठाई इदि केवलिसासणे।। नियमसार-126
यह गाथा मूलाचार, आवश्यक नियुक्ति एव तित्थेगाली प्राकीर्णक में मिलती है यथा
जो समो सव्वभूदेसु तसेसु थावरेसु य। तस्स सामायिय ठादि इदि केवललिसासणे।। मूलाचार-7/25 जो समो सव्वभूएसु तसेसु थावरेसु या तस्स सामाइयं होई इइ केवलिभासि।। आवश्यक नियुक्ति गाथा-797 जो समो सव्वभूतेसु तसेसु थावरेसु या धम्मो दसविहो इति केवलिभासितं।। तित्थोगाली-20/1208/4749 जस्स संणिहिदो अप्पा संजमे णियमे तवे। तस्स सामाइगं टाई इदि केवलिसाएगे।। नियमसार-127
यह गाथा मूलाचार और आवश्यक नियुक्ति में प्राप्त होती है। उसका मूलपाठ इस प्रकार है
जस्स संणिहिदो अप्पा संजमे णियमे तवे। तस्स सामायियं ठादि इदि केवलिसासणं।। मूलाचार-7/24 जस्स सामाणिओ अप्पा संजमे णियमे तवे। तस्स सामाइयं होइ इइ केवलिभासि।।
आवश्यक नियुक्ति, गाथा-797 पृ 435 जस्स रागो दु दोसो दु विगडिं ण जर्णति दु।। तस्स सामाइगं ठाई इदि केवलिसासणं।। नियमसार-128