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________________ पंक्ति २८८ १०५ ३०७ ३१३ १०.१२ गोम्मटसार कर्मचका शुधि पत्र अशुद्ध मत्त संयत गुणस्थान में प्रमत संयत मुणस्थान मे उदय प्रकृति ६६ उदय प्रकृति १८ सासादन गुणस्थान में गुणस्थानोवत सासावन युषस्थान में बुच्छित्ति गुण स्थानोक्त (+४+देवगत्यानुपूर्वी व सम्यग्मिथ्यात्व) (६+४+देवगत्यानपूर्ची व सम्यग्मिध्यात्व) म्यु०७६ अप्रमत्त गुणस्थान से अयोगी व्यु० ७६ अप्रमत्त गुणस्थान से अयोगी पर्यन्त व्यून्छिन्न होने वाली प्रकृतियाँ क्रम से पर्पन्त व्युच्छिन्न होने वाली प्रकृतियाँ कम ४+६+६+१+२+३.+तीर्थकर विना ११०७६ से ४+६+६+१+२+१+३+ तीर्थङ्कर बिना ११-७६ जीव अनिवृतिकरण गुणस्थाम के परम जीव अनिवृत्तिकरण के चरम और चरम मय में और चरम समय मे मे (१६+ +१+१+१+६+१+१+१) मे (१६+ +१+१+६+१+१+ १+१) गुणस्थान प्रमत्व | सव | सत्व वि गुणस्थान असत्व सत्व | सत्व विशेष व्युछि यत। . १४८/ . , असयत | . १४८ १ ., ३२३ १२ ३३० ३४७ २० ३४८ ३५६ ४२२ २० उद्वेलना होने पर १३३ प्रकृति का...... उद्वेलना होने पर १३१ प्रकृति का...... । गुणस्थान | असत्व | सत्य व्यछि. । गुणस्थान | बसत्य | सस्व | सस्व |विशेष | । गुणस्थान | अ. स्व | सत्व | सत्व विशेष । व्यकि देश सयत । १ ।१४७ १ तियंच देश सयम| १ | १४७ / १ तियंच | | | आयु | आयु एक समय से अन्तर्मुहूतं से कम काल पर्यंत एक समय से लेकर अन्त. मुहूर्त काल से कम तक। उदय ब्युच्छित्ति से होती है। उदय व्यच्छित्ति से पूर्व होती है। बैंकेयिक, अंगोपांग, अयशः कीति वक्रियिक, अगोपांग, आहारकद्विक बयशः कीति एक समय से अन्तर्मुहूर्त से कम काल एक समय से लेकर अन्तःमुहर्त से कम काल तक ४२३ २३ ४२६ 44 ४२६ - इसे समझने के लिए देखो धवल ८ विषय परिचय पृ.१,२ तथा धवल ८/१००,१०७, १४२ धवल ८/१५५, १००
SR No.538046
Book TitleAnekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1993
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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