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०,
४४,कि.
पंक्ति
अशुद्ध अनेक क्षेत्र स्थित अयोग्य
१५०
एक क्षेत्र स्थित अयोग्य
१५८
१७१
२०७
२१८
२२२ २२५ २२६ २३६
सब गुण हानि का
सर्व गुण हानि का अरति, शोक और जुगुप्सा का
मरति, शोक भय और जुगुप्सा का बन्धने का काम संख्यात गुणा है। बंधने का काल उससे भी सख्यात गुणा है। पांच अन्तराय प्रकृतियों के
पीच अन्तराय इन प्रातियों के दो गुण हानि (२x६१६)का
दो गुणहानि (२x४) का (१+४=५)
(1+४=५) देखा जाता अब .
देखा जाता है। अब अपनी २ बन्ध में स्थिति कारण होने से अपनी-अपनी स्थिति-बन्ध मे कारण होने से भागित
भाजित अनुभाग बन्ध्यवसाय
अनुभाग बन्पाध्यवसाय अनुदय प्रकृति ८२
अनुदय प्रकृति . व्युच्छिन्न रूप प्रकृतियां मिथ्यात्व गुणस्थान यह पंक्ति पुनर्मुदित हो गई हैं। से अयोग केवली गुणस्थान पर्यन्त कम से ५-६-१-१७.८-५-४-६-१-१६.३० और १२ हैं। ८-४-६ इन पांच बिना ४२ प्रकृति
इन पांच बिना पानिया की ४२ प्रकृति एवं मित्र मोहनीय
एवं अनुदय मिश्रमोहनीय होने से अनुदय प्रकृति ४
होने से अनुदय प्रकृति उदय
उदय
२३.२४
२४४
२४७
१८
२४०
२४९
२०
२४६
प्रथम नक्शा कोठा नं.३
७२
.
५१
७०
२५३
उदा मुन्डित्ति
प्रथम नक्शा उदय युधिति कोठा न०२
२५६
अनुदय
बनुदय
चरम पक्ति
२०
३०
२८.
१६
दुभग
मंद