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________________ २८, वर्ष ४६, कि०१ अनेकान्त हैं। २ प्रतियां दिगम्बर जैन मंदिर अभिनन्दन स्वामी, की गई है। उपर्युक्त ग्यारह टीकाओं में से एक श्रुतसागर बंदी मे सुरक्षित है।" अभिनन्दन स्वामी मदिर की वेस्टन सूरि कृत संस्कृत की तथा जयचद छावड़ा-कृत ढढारी भाषा संख्या १४ की प्रति संवत् १७८६ मे लिखी गई। यह वनि का टीका ही मुद्रित हुई है। पाइलिपि जती गंगारामजी ने सवाई जयसिंह के राज्य में विज्ञ पाठकों से अनुरोध है कि अष्टपाहुड की टीकाओं माणपुर ग्राम मे लिखी। इस टीका का लेखक अज्ञात है। तथा टीकाकारों और पांडुलिपियों के विषय मे यदि कोई इस तरह अब तक के अनुसधान से अष्टपाड एवं जानकारी हो तो मझे दें। षट्पाहर की ग्यारह टीकाओ की जानकारी प्राप्त हई -प्राकृत एव जैनागम विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत है। ये टीकाएँ कन्नड, संस्कृत, ढढारी और हिन्दी भाषा मे विश्वविद्यालय वारणसी। __ सन्दर्भ १. जैन आथर्स एण्ड देअर वर्स, जैना एण्टीक्वेरी, भाग पाहड, शांतिवीर दिगम्बर जैन संस्थान, महावीरजी, ३७, न० २, पृ० १४ एव परमात्मप्रकाश-प्रस्तावना वी. नि० स०-२४६४। -डा० ए०एन० उपाध्ये। ६. राजस्थान के जैन शास्त्रभडारों की ग्रंथ सूची, २. वही। भाग-३, पृ. १६४। ३. कन्नड प्रान्तीय तारपत्रीय अथ सूची, पृ०१७। १०. प्राचार्य कुन्दकुन्द : व्यक्तित्व एवं कृतित्व-डा. ४. कतिपय (दि०) जैन संस्कृत प्राकृत ग्रंथों पर प्राचीन कस्तूरचद कासलीवाल, श्री महावीर ग्रंथ प्रकादमी, कन्नर टीकाएँ–६० के. भुजबली शास्त्री, जैन जयपुर, पृ० १७। सिद्धान्त भास्कर, भाग-३, किरण-३, दि० १९३५, . राजस्थान के जैन शास्त्र भंडारों की प्रन्थ सूची, पृ० ११२ । जैन आथर्स एण्ड देअर वसं-डा. भाग-५, पृ० २१६ । ज्योतिप्रसाद जैन, जैना एण्टीक्वेरी, भाग- ३७, न०.२, पृ० १४। १३. सवत्सर दस आठ सत सतसठि विक्रमराय । ५. हस्तलिखित शास्त्रो का परिचय, पृ० १८, प्रकाशक मास भाद्रपद शुक्ल तिथि तेरसि पूरन पाय । रामचंद्र जैन, ट्रस्ट मत्री, ऋषभ देव । -अष्टपाहुड (पांडुलिपि), पत्र २.६, आचार्य महावीरकीति सरस्वती भवन, राजगिर । ६. जैन आथर्स एण्ड देनर वर्क्स, जैना एण्टीक्वेरी, भाग १४. अष्टपाहुड, मुनि अनन्तकीर्ति प्रथमाला समिति, ३३ नं०-२, पृ० ११ । बम्बई, वी० सं० २४५० । ७. वही, भाग-३४, नं०-२, पृ. ४६ । १५. जैनेन्द्र सिद्धान्तकोश, भाग-२ पृ. ३२३ । ८. षट्प्राभूतादि संग्रह, माणिकचंद दिगम्बर जैन ग्रन्थ- १६. राजस्थान के जैन शास्त्र भंडारों की प्रथ सूची, माला समिति, बम्बई, वी. नि. सं०.२४७। अष्ट- भाग-५, पृ० २१९ ।
SR No.538046
Book TitleAnekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1993
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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