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________________ १८, व ४६. कि.१ अनेकान्त है। द्वार के दोनों ओर गंगा-यमुना नदी देवियो की प्रति- नाथ का सिर एवं हाथ भग्न है। पादपीठ पर विक्रम स० माएँ परिचारिका सहित कित है। अभिलेखों के १३१२ (ईस्वी सन् १२५५) का लेख उत्कीर्ण है । प्रतिमा आधार पर मन्दिर की तिथि सवत् ११५२ या सवत् का आकार ३२४ ४२ सें. मी. है। तीसरी आदिनाथ ११४५ आती है। एक स्तम्भ पर सवत ११५२ बैशाख प्रतिमा पादपीठ (स. क्र. ४२) पर दोनों ओर सिंह सुदी पंचम्याम श्री काष्ठ सघ महाचार्यवयं श्री देवसेना आकृतियो का पालेखन है। नीचे ऋषभनाथ का ध्वज पादुका युगलम उत्कीर्ण है। दूसरा जैन मन्दिर २२४ २२ लाछन वृषभ का अकन मनोहारी है। मति का बाकार मोटर वर्गाकार जगति पर स्थित है। इसमे मध्य मे २४४२७ से. मी. है। राजकीय संग्रहालय लखनऊ में आगम तथा पूर्व उत्तर एवं पश्चिम तरफ अलग-अलग दुवकुड की एक मूर्ति (जे. ८२०, ११वी शती ईस्वी) में तीन गर्भगृह रहे होंगे। यहां खण्डित कई प्रतिमाएं विद्य- विछत्र के ऊपर आमलक एव कलश और परिकर मे २२ मान है। तीसरा मन्दिर हर-गौरी मन्दिर से थोड़ी दूर छोटी जिन मूर्तियां बनी है। इनमे तीन और पांच सर्पफणो पर एक चबूतरा बना हुआ है। जिस पर चार कीतिस्तम्भ को अच्छादित दो जिनो को पहिचान पार्व एव सपार्श्व थे, किन्तु अब तीन गिरे हुए हैं एवं एक अभी भी खड़ा से सम्भव है। यह आदिनाथ की मूर्ति प्रतिमा विज्ञान की हुआ है। स्तम्भ वर्गाकार एवं अष्टकोणीय है। प्रत्येक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जैन स्तम्भ पर जैन प्रतिमाएं उकेरी गई है। चौथा जैन अजितनाथ :-दूसरे तीर्थकर अजितनाथ की दुब. मन्दिर नाले से दूसरी पोर स्थित हैं, जिसकी हालत दय- कुंड से प्राप्त दो प्रतिमाएं जिला-सग्रहालय मुरैना में नीय है। इसमें एक छोटा सपाट छत वाला मन्दिर है एव सग्रहीत है। प्रथम प्रतिमा मे तीर्थकर अजितनाथ कापोतइसके अन्दर एक जन प्रतिमा कायोत्सर्ग में विद्यमान है। सर्ग मुद्रा में निर्मित है (स. क्र. ७३) दायें ओर चावरमूर्ति प्राचीन है, किन्तु मन्दिर बाद का प्रतीत होता है। धारी का अ लेखन है। प्रतिमा का आकार १०० x ३८ मूर्तिकला सें. मी. है । दूसरी प्रतिमा में (स. क्र ४१) अजितनाथ का दुबकुंड से प्राप्त जैन मूर्तियां दुबकंड, जिला- पादपीठ पर दोनों ओर सिंह, हाथी मध्य मे देव प्रतिमा संग्रहालय मुरैना एवं राजकीय संग्रहालय लखनऊ की ओर भगवान अजितनाथ का ध्वज लाछन हाथो का अकन निधि है। सभी मूर्तियां सफेद बलुआ पत्थर पर निमित है। प्रतिमा का आकार ३३४७५ से. मी. है। है एवं ११-१२वीं शती ईस्वी की है। यहां से प्राप्त प्रमुख पद्मप्रभु :-जिला संग्रहालय मुरैना मे दुबकुड से जैन प्रतिमाओं का विवरण निम्नलिखित है : प्राप्त छठे तीर्थंकर पपप्रभु की दो प्रतिमाये सग्रहीत है। आदिनाथ:-जिला संग्रहालय मुरैना मे इसकंट से प्रथम मूति तीर्थकर पपप्रभु कायोत्सर्ग मुद्रा में निर्मित है प्राप्त तीन प्रथम तीर्थंकर आदिनाय की प्रतिमाएं सग्रहीत (सं. क ६६) तीर्थकर के सिर व हाथ टूटे हुये है। पादहै। प्रथम प्रतिमा मे तीर्थकर आदिनाथ पद्मासन की पीठ पर चतुर्भुजी देबो का आलेखन है। प्रतिमा का ध्यनस्थ मुद्रा मे बैठे हैं। वितान में विद्याधर युगल आकाश आकार ११४३५ से. मी. है। दूसरी कायोत्सर्ग मुद्रा में मे विचरण करते हुये दर्शाये गये है। मध्य मे तीर्थकर के (स. क्र. ६३) शिल्पांकित तीर्थकर १मप्रभ का ऊपरी भाग ऊपर त्रिछत्र, दुन्दभिक अंकित है। प्रतिमा के पीछे खडित है। पादपीठ पर उनका ध्वज लाछन कमल का अलंकृत प्रभा मण्डल है। सिंहासन के मध्य मे खड़ी हई प्रालेखन है। प्रतिमा का आकार ८५४ ३५ सें.मी. है। देवी प्रतिमा है, जिसके नीचे भगवान ऋषभनाथ का वासुपूज्य :-जिला संग्रहालय मुरैना में सुरक्षित ध्वजलांछन वृषभ का पालेखन है । देव प्रतिमा के प्रत्येक दुबकुड से प्राप्त बारहवें तीर्थकर वासुपूज्य (स. क्र. ८०) ओर हाथी एव सिंह अकित है । तथंकर श्रीवत्स, त्रिवलय की कायोत्सर्ग मुद्रा मे अंकित प्रतिमा का मुअ खडित है। एव उष्णीष से अलंकृत है। मूर्ति का आकार १३५४७० मति मे दो जिन प्रतिमा परिचर एव यक्ष-यक्षी प्रतिमा सें. मी. है । दूसरी मूर्ति मे (स. क्र. ५३) तीर्थकर आदि का आलेखन है। पादपीठ पर देव नागरी लिपि मे वि.
SR No.538046
Book TitleAnekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1993
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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