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________________ 17 मार्च, 1993 आदरणीय साह जी, सादर जय जिनेन्द्र संदर्भ : समयसार ग्रन्थ आपका । मार्च का पत्र संस्था के विद्वान पं पदमचन्द जी शास्त्री के नाम मिला । इस विषय में विचार-विमर्श करने से पहले मेरा निवेदन है कि कुन्दकन्द भारती में पं बलभद्र जी ने दिनांक 10 3 - 93 के पत्र में लिखा है कि शास्त्री जी में न तो उपदेश देने की पात्रता है और ना ही आदेश देने की क्षमता है, साथ ही उन्होंने शास्त्री जी की भाषा को आतंकवादी बताया है । पत्र के अंत में उन्होंने परिणाम भुगतने की धमकी भी दी है । उनके पत्र की प्रतिलिपि मलग्न है । क्या इन परिस्थितियों में शास्त्री जी के परामर्श का कोई अर्थ होगा, इस सम्बन्ध म कन्दकन्द भारती से लगातार अनेक पत्र हमें मिले । मा भवत: आपको उन सभी की जानकारी भी होगी । कुन्दकुन्द भारती का और आदरणीय साह अशाक कुमार जी को संस्था से भेजे गये पत्रों की मलग्न प्रतिलिपियां विषय को अधिक स्पष्ट करती है । माभिवादन. आपका, महासचिव संलग्न : तीन पत्रों की छायाप्रति प्रतिष्ठा में. साह रमेशजी जैन ट्रस्टी कुन्दकुन्द भारती. टाइम्स हाउस, 7. बहादुरशाह जफर मार्ग. नयी दिल्ली
SR No.538046
Book TitleAnekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1993
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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