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कषायपाहा सुत्त
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अशुद्ध उदहरण निगादिया उत्कष्ट 'कदि चाण-सूत्र अंकमो सम्यग्मिध्यात्व से सबके कम बन्धस्थानों मे सेससु प्रमारण एक समय
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उदाहरण निगोदिया उत्कृष्ट 'कदि चूर्णिसूत्र असंकमो सम्यग्ल्यिात्व के सबसे कम बन्धस्थान मे सेसेसु प्रमाण तो वही रहता है, किन्तु अतिस्थापना के प्रमाण मे एक समय अपवर्तित सक्रमो समान संकामया जघन्य अनुभाग संक्रमण का अन्तर कहते हैं
॥१२३॥ अब जहण्णाणुभाग को होइ? सम्मत्तस्स अनन्तकाल ड्ढिदूण संक्रम उदीरणा कहा गया है) मरकर एक समय कम तेतीस
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अवर्तित संकमों समय संकासया अनुभाग संक्रमण का जघन्य अन्तर कहते है ॥२२३॥ जब जहण्णाणमाग होइ? सम्मत्त अन्तरकाल वढिपूण सक्रस उदारणा कहा गया है मरकर तेतीस या वर्गगाए असंख्यात होते हैं । विवक्षित
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वर्गणाए असख्यात होते हैं । क्रोध के असख्यात अतिरिक्त अपकर्ष हो जाने पर एक बार मान अपकर्ष अधिक होता है । लोभ, माया, क्रोध व मान से उपयोग होने के पश्चात् लोभ से उपयुक्त होता है। फिर माया से उपयुक्त न होकर पुनः लोटकर मान से उपयुक्त होता है। फिर लोभ का उल्लघन कर माया से उपयुक्त होता है। विवक्षित