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________________ २२, ४५, कि. ३ अनेकान्त पृष्ठ ५६२ ६०२ xxxwww .. - mm पक्ति असुद्ध २७ ॥ २८७-२८८॥ ॥ २८७-२८६॥ सेढाओ सेढोओ द्वारा द्वारा संधीदा संधीदो कहकम्म कोहकम्म जागे जोगे उपशमम उपशम सुत्त सुप्त प्रथमोपशम सम्यक्त्व को सम्यक्त्व को [यहां अनुवाद मे अनुवाद-कर्ता को बड़ी भूल हुई है।] २७ प्रथमोपशम सम्यक्त्व सम्यक्त्व नोट-गाथा १०५ [पृ. १३५-३६] का अर्थ व विशेषार्थ गलत है। [देखो ज, ध. पु. १२ पृ. ३१७-१८] २४ वहां यहाँ ऐसे ६३२ ६३५ ० सेसे वह यह ७०३ ७०६ ७२६ ७४२ ७४३ ७५२ २८ २० , १३ २५-२८ चढमाणस्स मारणस्स कोटिशतसहस्र कोटि पृथक्त्व शतसहस्र पल्योपम के जघन्य के और संज्वलन की और क्रोध संज्वलन की चार तीन मूलणाहाए मूलगाहाए यह पांचवीं भाषा गाथा यह गाथा अथवा उससे पूर्व संसारावस्था मे वर्तमान x x x x x x यहां पर पठित 'वा' शब्द समुच्चयार्थक x x x x x x ................."गया है। अतएव भी बध्यमान बध्यमान ॥१४३॥ ॥१४२॥ अणिनन्तगुत अनन्तगुणित स्पर्धकवर्गणा स्पर्धक को आदिवर्गणा ७६७ ७६८ ७८८ ७६० पूर्व पूर्व ००० २७ के अन्तर समम से वेकककाल ९६४ के कृष्टि अन्तर समय से वेदक काल ६६५ ८३८
SR No.538045
Book TitleAnekant 1992 Book 45 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1992
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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