SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२. वर्ष ४५, कि०३ अनेकान्त सन्दर्भ १. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, १५. जयोदय महाकान्त, ब्यावर, ग्रन्थकर्ता का परिचय भाग ४, पृ. ५० । पृ० १०। २. भव्यजन कण्ठाभरण, प्रस्तावना पृ० १०। १६. यद्यपि इसमे ६ सर्ग हैं, पर 'दो शब्द' मे प्रकाशक ३. जैन साहित्य और इतिहास, पृ. १४२ । पं० विद्याकुमार सेठी ने इसे खंडकाव्य ही कहा है। ४. मुनि सुव्रत काव्य, आरा, भूमिक पृ० ख । १७. यथा दयोदय चम्पू ७/२७ । ५. अनगार धर्मामृत, ज्ञानपीठ, देखिए प्रस्तावना । १८. महावीर तीर्थंकर चम्पू प्रकाशक-राजेश पांडेय ६. नलकच्छपुरे श्रीमन्नेमिचैत्यालयेऽसिधत् । विक्रमाब्दशतेष्वेषा प्रयोदशसु कार्तिके।। ___ जयकृष्ण कुटी १७०१ चादनी चौक दिल्ली । अनगारधर्मामत की टीका प्रशस्ति २१ । १६. वही, प्राक्कथन । ७. पलंकार चिन्तामणि, ज्ञानपीठ, प्रस्तावना पृ० ३४ । २०. जैन सन्देश (मथुरा) २३ व ३० जून १९८३ । ८, व्यक्तिगत पत्र दिनांक २७-६-८२ के आधार पर। २१. वचनदूतम, महावीर जी, प्रशस्ति । ६. मुनि शानसागर ग्रन्थमाला ब्यावर (राजस्थान) से २२. जैन साहित्य और इतहास पर विशद प्रकाश १९६६ ई. में प्रकाशित । पृ. १६३ । १०. दयोदय चम्पू, प्रथम लम्ब, लम्ब प्रशस्ति । २३. वही पृ. ४८६ । ११. जयोदय महाकाव्य, ब्यावर, ग्रन्थकर्ता परिचय पृ. ६ । २४. सस्कृत साहित्य कोष, चौखम्बा, पृ. ३३० । १२. जयोदय चम्पू, ब्यावर, प्रत्यकर्ता परिचय पृ० ।। १३. वीरोदय महाकाव्य, ब्यावर, प्रकाशकीय । २५. च० आ० एवं ऐतिहासिक अध्ययन, पृ. १२१ । योदय (मलमात्र) प्रकाशक ब्रह्मचारी सरजमल २६. जैन साहित्य और इतिहास, प्र. १३७। प्राक्कथन, पृ०२। २७. च० आ० एवं ऐतिहासिक अध्ययन, पृ. २४७, २६७ । *KXXXXXXXXXXXXXX*********** एको मे सासबो अप्पा णाणदंसणलक्खणो। सेसा मे बाहिरामावा सम्वे संजोगलक्खणा॥ अथ मम परमात्मा शाश्वतःकश्चिदेकः, सहजपरमचिच्चितामणिनित्यशुद्धः। निरवधिमिजदिव्यज्ञानदृग्भ्यांसमुखः, किमिह बहुविकल्पे मे फलं वाह्यभावः॥ निश्चय से मेरा आत्मा नित्य, एक, अविनाशी है। ज्ञान-दर्शन लक्षण का धारी है। मेरे आत्मीक भाव के सिवाय अन्य सर्वभाव मुझसे बाह्य हैं तथा सर्व ही भाव संयोग लक्षण हैं अर्थात पर-द्रव्य के संयोग से उत्पन्न हुए हैं। Xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx ********
SR No.538045
Book TitleAnekant 1992 Book 45 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1992
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy