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________________ केन्द्रीय संग्रहालय गुजरीमहल ग्वालियर में सुरक्षित सहस्र जिनबिंब प्रतिमाएँ मध्यप्रदेश के पुरातत्व संग्रहालयों में केन्द्रीय संग्रहालय गूजरी महल ग्वालियर का महत्वपूर्ण स्थान है, इस संग्र हालय जैन प्रतिमानों का विशाल संग्रह है। प्रस्तुत लेख मे संग्रहालय की सहस्र जिन बिम्ब प्रतिमाओ का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। यह स्तम्भ ाकृ ि1, शिल्पखंड जैन ग्रन्थो में वर्णित मान स्तम्भ सहस्रकूट व जिन चैत्यालय का प्रतीक संग्रहालय में बलुआ पत्थर पर निर्मित ग्वाही स्वी की कमी प्रतिम सुरक्षित है, जिनका विवरण निम्नानुसार है लयर दुर्ग में प्राप्त एक गो कार स्तम्भ को पूर्व में जैन स्तम्भ खडिन लिखा गया है। जबकि यह महस्र जिन बिम्ब स्तम्भ है, इस पर दम पतियो 4 जिन प्रतिमाएँ अति है। प० *० २६०) पथम पाक्त में प्रथम मूर्ति तीर्थंकर आदिनाथ की है, शेष भारत पद्मासन जिन मूर्ति दूसरी पक्ति में सात जिन मूर्ति तीसरी पंक्ति म पन्द्रह जिन मूर्ति, चौथी पंक्ति में जिन मृर्ति, ५वी पक्ति में आठ जिन मूर्ति, छठी पनि" मनमूर्ति सातवी पक्ति में तेरह जिन मूर्ति, आठ पति में नौ जिन मूर्ति नौवी मी पंक्ति म बीस जिन मूर्ति, ग्यारहवी पक्ति सोलह जिन मूर्तियां मकिन है। सभी मूर्ति पद्मासन मुद्रा में अंकित है। प्रतिमा का आकार १८५ २७५७५ सं० ० है । बालचन्द्र जैन ने इसे मान स्तम्भ माना है, जिसमें पद्मासन में तीर्थकर प्रतिमा अति है। सो पैतालीस तीर्थकर प्रतिमाएं बैठी एक भी उनतालीस जनकि इसमें एक है। प्राइस मूर्ति को सुहोनिया जिला मुरैना म० प्र० पूर्व में पट्ट जिस पर अठारह तीर्थक प्रतिमा बनी है, लिखा गया है। जबकि यह सहस्र जिन बिम्ब है। · १. शर्मा राजकुमार "मध्यप्रदेश के पुरातत्व का सन्दर्भ ग्रन्थ मोरान १२७४ १० ४७५ । · २. घाष अमलानन्द जैन कला एवं स्थापत्य" नई दिल्ली १०५ १० ६०८ २. शर्मा राजकुमार पूर्वोक्त पृ० ४७६ मा २०६ शिल्पकृति में तीन पक्तियों में पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा में जिन प्रतिमाओं का अंकन है। (सं० ० ३१०१) प्रत्येक पंक्ति मे ६६ प्रतिमाएँ अंकित की गई है। बायीं और अलंकृत घट पलयों से युक्त स्तम्भ का आलेखन है। प्रतिमा का आकार ३६५०×१२ से० मी० है । बालचन्द्र जैन ने इच्छा काल पन्द्रहवीं शताब्दी माना है । जो उचित प्रतीत नही होता है । यह प्रतिमा ११वी शती ई० की है । २-२=८ १-१४. 11 39 द्वितीय तीसरी प्रत्येक जिन (तीर्थंकर) प्रतिमा के नोचे धर्मचक्र विपरीत दिशा में मुख किये सिंह अकित हैं। नीचे की पति में आदिनाथ एव पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्पष्ट है। दो खंडित प्रतिमा नेमिनाथ एवं महावीर की रही होगी । इसके नीचे अंजनी हस्त मुद्रा में सेवक बैठे हुए है। पार्श्व में चामरधारी अंकित है । सम्पूर्ण स्तम्भ अमृत कलश विद्याधर, पुष्प एवं भवान्छों से अलंकृत है। प्रतिमा का आकार १४८६० x ६० से०मी० है । बासचन्द्र जैन ने इसे मान स्तम्भ माना है एवं देव कोष्ठों के अन्दर इस नीशंकर की लघु प्रतिमाएँ बैठे हुए दर्शाया गया है। सम्वर्थ-सूची पढावली जिला मुरैना म० प्र० से प्राप्त प्रतिमा को स्तम्भ पर उत्कीर्ण चौबीस तीर्थकर लिखा है। जबकि यह महल जिन विम्ब है। इस शिल्प खंड के चारों ओर जिन प्रतिमाएं बनाई गई है, जो सभी पद्मासन में है। (स० ० ३४३) और महस्र जिन प्रतिमाओं का संकेत करती है। प्रस्तुत स्तम्भाकृति मे तीन पक्तियाँ है। प्रत्येक पति बनी प्रतिमानों की सख्या इस प्रकार है:नीचे की पहली पंक्ति प्रत्येक ३-३१२ o C नरेश कुमार पाठक ५. ६. " ७. "} ४. घोष प्रमलानन्द पूर्वोक्त पृ० ६०३ । "1 शर्मा राजकुमार पूर्वोक्त पृ० ४७७ क्रमांक ११८ | गर्दै एम. बी. "ए गाइड टू बी आफैँलाजीकल म्यूजियम एट व्यानर १९२८ मेट 1 घोष अमवानन्य पूर्वोक पृ० ६०१ ।
SR No.538044
Book TitleAnekant 1991 Book 44 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1991
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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