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________________ वीर सेवा मन्दिरका त्रैमासिक अनकान्त (पत्र प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वष ४४: कि०४ अक्तूबर-दिसम्बर १९६१ इस अंक मेंकम विषय १. जिनवाणी-महिमा २. कनाटक मे जैनधर्म-श्री राजमल जैन, दिल्ली ३. अतिशय क्षेत्र अहार के यंत्र -डा० कस्तूरचन्द 'सुमन' ४. मुनि श्री मदनकीति द्वय ----श्री कुन्दनलाल जैन, दिल्ली १५ ५. देवीदास भाय जी के दो पद ६. जैन यक्ष-यक्षी प्रतिमाएँ -श्री रमेश कुमार पाठक ७. कामा के कवि सेढमल का काव्य -डा० गगाराम गर्ग ८. परिग्रह पाप ६. सम्यग्दर्शन के तीन रूप -श्री मुन्नालाल जैन 'प्रभाकर' १०. पद्मावती पूजन, समाधान का प्रयत्न -जस्टिस श्री मांगीलाल जैन ११. काशी के आराध्य सुपार्श्वनाथ -डा. हेमन्त कुमार जैन १२. वर्तमान के सन्दर्भ मे विचारणीय -श्री पद्मचन्द्र शास्त्री, दिल्ली १३. आगमिक ज्ञान-कण कवर पृ. २ १४. हमने क्या खोया क्या पाया-श्री प्रेमचंद जैन , ३ प्रकाशक: वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538044
Book TitleAnekant 1991 Book 44 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1991
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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