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ईसा मसीह मौरन धर्म
मरी (बब पाकिस्तान) मे माता मरियम का प्राणान्त हुआ खोग बब इस बात की होनी चाहिए कि क्या जैन और सिा कश्मीर में ब्रह्मलीन ।
माख्यानकारों ने भी इस विषय पर आगे-पीछे कही थोड़ा आश्चर्य यह है कि उसके इस अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बहत वर्णन किया है। राजस्थान के इतने पुरातन मंदिर जीवन काल के वृत्तान्त के बारे मे धर्म ग्रन्थ बाइबल और तो अब ध्वस्त हो चुके होगे जिनमे ईसा दर्शनार्थ व ज्ञाना. ईसाई धर्म के अनुयायी दोनों चुप हैं और आज लगभग र्जन के लिए गया था परन्तु प्राचीन ग्रंथावशेषों में इस दो हजार वर्ष के पश्चात् भी भारत के आध्यात्मिक ऋण बारे मे कोई सकेत मिल पाना सभावना की सीमा के को स्वीकार करना पसन्द नही करते। वे तो नोटोविष अनगंत है। क्या कोई तपस्वी मनीषी इसकी खोज में को उसकी खोज के जग जाहिर करने मे भी हतोत्साहित समय लगाएगा? यदि उसे सफलता मिली तो धर्मों के ही करते रहे।
इतिहास पर नया प्रकाश पड़ेगा।
संदर्भ-सूची: १. C.L. Datta की पुस्तक लदाख, मुंशीराम मनोहर• हस्तलेख मौजूद हैं जिनमें ईसा के भारत आने का
लाल, नई दिल्ली, १९७३ ५० ५६ से पाया जाता है वर्णन है। Fifth Gospel pp181-1861 कि लदाख के सम्राट् सेन में नामग्याल (१६००- ४. वह व्यापारियो के काफिले के साथ सिंध की ओर १६४५ AD) के समय मे लामा स्तेगता साग रसपा
इस उद्देश्यसे निकला था कि बौद्ध धर्मकी शिक्षा ग्रहण ने सन् १६४० मे इस मठ की स्थापना की थी। यह
करे । टपरोक्त The Fifth Gospel p. 179 । मठ तिब्बत और भूटान के अध्यात्म नेताओ के वर्चस्व
५. ब्राह्मणो और क्षत्रियों का कोप भाजन ईसा इसलिए को स्वीकार करता रहा है। लदाख का यह मठ
बना कि वह वैश्यों व शूदो के साथ घुल-मिल गया वैभवशाली और राज्य संरक्षित रहा है।
था और उन पर किए जा रहे अत्याचारो का प्रति
रोध करने लगा था। पूरोहित कहते थे कि शूद्रों और २. इस बात की पुष्टि निकोलस रोरिच द्वारा १९२५ मे
वैश्यों को केवल मौत ही आजादी दिला सकती है प्राप्त तिब्बती लेखों से होती है देखिए-(i) Fida Hassnain & Dahan leni The Fifth Gaspel
किन्तु ईसा ने शद्रों को कहा कि उठो और अपनी Dastgir Siragar, (1988) १० 79-80% (ii) शक्ति को पहचानों, सारा ससार ही तुम्हारा है। Grant Francis & Roerich, Himalayas pp एक दिन आएगा जब ब्राह्मण व क्षत्रिय शुद्ध हो 148-153 (iii) Johan Forsstorm; The King
जाएगे। इस पर क्रुद्ध होकर ब्राह्मण एकत्र हए और of the Jews. p 176 (iv) Miguel Serrano; The Serpent of Paradise, pp 142-143 मे
उसका वध करने के लिए हत्यारा नियुक्त किया। नाथनामावलि मे चचित ईशानाथ का वर्णन है।।
वह वहाँ बौद्ध धर्म में पारगत हो गया और वहां के ३. निकोलस नोटोविच की इस खोज ने ईसाई जगत मे
शीषंलामा सघाराम के निवासियों को कहा कि बड़ी हलचल पैदा कर दी पी। इसलिए ब्रिटिश
यह यहूदी पैगम्बर है और दुनियां इसको सुनेगी और सरकार ने इस बात की जांच करने के लिए प्रो०
उसके नाम की प्रशंसा करेगी। उपरोक्त Fifth मेक्समूलर और आगरा के प्रो. आर्चीबाल्ड को कहा।
Gospel, pp. 181-189.
६. ईसवी सन् ईसा के शूली पर चढ़ाए जाने के दिन से Nineteenth Century oct 1894 और April
लेते हैं परन्तु ईसा शूली पर मरा नहीं था। अतः 1896 मे उसने अपने नतीजे प्रकाशित कराए
ईसवी सन् के बाद भी उसका जीवित रहना पाया जिनका सार यह था कि निकोलस नोटोविच एक
जाता है। वह १२० साल की आयु पाकर ई. धोखेबाज आदमी है किन्तु अभेदानंद ने अपनी पुस्तक
सन् १०६ में मरा ई० सन् ७८ मे तो बोद्ध परिषद् Kashmir & Tibbet (1922)p 269 मे इस ने उसे बोधिसत्व का दर्जा दिया था । उपरोक्त बात का समर्थन किया कि हेमिस मठ में वे तिब्बती Fifth Gospel अध्याय ४ ।