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________________ क्या नवग्रह पूजा शास्त्र सम्मत है ? - उदयचन्द्र जैन एम. ए., सर्वदर्शनाचार्य, वाराणसी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह होते है। उनके भविष्यवाणी तो करते रहते हैं किन्तु वे ग्रहों की शान्ति नाम इस प्रकार हैं-सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, के लिए कोई उपाय बतलाते हों यह देखने में नहीं शनि, राहु और केतु । ज्योतिषियो के अनुसार ये ग्रह आया है। व्यक्तियों को ही नही, किन्तु राष्ट्रों को भी समय-समय ___ ज्योतिष के अनुसार व्यक्तियों पर ग्रहों का जो पर फल देते रहते है। कानपुर, वाराणसी आदि कई प्रभाव होता है उसकी शान्ति के लिए ज्योतिषी कई प्रकार स्थानों से प्रकाशित होने वाले दैनिक जागरण में प्रत्येक के उपाय बतलाते हैं। जैसे-विभिन्न प्रकार के मूंगा, सोमवार को प्रसिद्ध ज्योतिषी के०ए० दुवे पद्मश के रुद्राक्ष आदि का धारण, दान, पुण्य आदि । पता नहीं इस ग्रहों के सम्बन्ध में एक या दो वक्तव्य निकलते रहते हैं। प्रकार के उपायो से ग्रहो की शान्ति होती है या नहीं। जैसे-वक्री ग्रह बड़ी दुर्घटना करायेंगे। १७ मई तक ग्रहों के सम्बन्ध में एक बात यह भी विचारणीय है कि बुध और शनि का वक्री होना कोई बड़ी दुर्घटना करा जन्म के समय जन्मकुण्डली मे जो ग्रह जिस रूप मे पड़ येगा। रेल, यान, सड़क या अन्य दुर्घटनाओ से कई जाते है क्या वे जीवन भर उसी रूप मे उस जीव को फल हजार व्यक्ति प्रभावित होंगे। वक्री ग्रह मौसम को भी देते रहते है। ग्रहों के सम्बन्ध में इतनी भूमिका बतला प्रभावित करेंगे। बुध का पूर्व में उदय होना महा उत्पात देने के बाद अब हम प्रकृत विषय पर विचार करते हैं। कारी होगा । ४ मई से शनि वक्री चल रहा है और वक्री शनि २३ सितम्बर ६० तक रहेगा। शनि के साथ बुध यहाँ विचारणीय यह है कि ग्रह जड़ है या चेतन । भी वक्री है । लेकिन जब बुध का पहले ही पूर्व दिशा मे जैनधर्म के अनुसार ग्रह चेतन है । अर्थात् वे ज्योतिषी देव उदय हो और शनि वक्री रहे तो अनेक प्रकार की दुर्घटनायें है। आचार्य उमास्वामी ने तत्त्वार्थसूत्र में बतलाया हैहोती हैं। हिंसा व आगजनी की घटनाएं देश के अनेक सूर्याचन्द्रमसो ग्रह नक्षत्र प्रकीर्णकतारकाश्च । अर्थात सर्य, अंचलो में होंगी। दिल्ली में भी कुछ विशेष अप्रिय घटनाएँ चन्द्रमा, ग्रह, नक्षत्र और तारे ये पांच प्रकार के ज्योतिषी घट सकती हैं। बुध के उदय हो जाने तथा शनि के वक्री देव हैं। किन्तु आधुनिक विज्ञान के अनुसार ग्रह जड़ होने के कारण कुछ खाद्यान्न वस्तुओं मे मन्दी आयेगी। (अचेतन) है। ग्रह चाहे जड़ हो या चेतन दोनों ही स्थितियो मे वे अपना प्रभाव चेतन और जड़ पदार्थों पर इस प्रकार से ग्रहों को लेकर सामान्य भविष्यवाणी के अतिरिक्त व्यक्तिगत भविष्यवाणी भी निकलती रहती कैसे डालते है अर्थात् अच्छा या बुरा फल कसे देते हैं यह है। जैसे-शरद पवार अपना कार्यकाल न पूरा कर बात विशेषरूप से विचारणीय है। जैन दर्शन के अनुसार सकेंगे। क्योकि शनि इन वर्षों में मकर और कंभ मे एक द्रव्य दूसरे द्रव्य में कोई क्रिया या प्रतिक्रिया नही कर सकता है। निश्चयनय से सब द्रव्य अपने में ही परिणामों रहेगा। बहस्पति इन वर्षों में कई बार षडाष्टक योग बनायेगा। शनि और बृहस्पति का षडाष्टक योग उन्हें का कता है और पुद्गल द्रव्य अपने परिणामों का कर्ता पद मुक्त होने के लिए बाध्य करेगा। इस कारण वे अपना है। पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नही कर सकेंगे। यहां यह यहां एक बात यह भी विचारणीय है कि जीवों को दृष्टव्य है कि दुबे जी ग्रहों को लेकर विभिन्न प्रकार की जो शुभ या अशुभ फल मिलता है वह प्रहों के द्वारा
SR No.538043
Book TitleAnekant 1990 Book 43 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1990
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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