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________________ (गतांक में प्रागे) शुद्धि-पत्र धवल पु० ३ (संशोषित संस्करण) 0 जवाहरलाल सिद्धान्तशास्त्री, भोण्डर पृष्ठ पक्ति ३६६ ३७२ л m س л л س س я л » - ३८४ १९. अशुद्ध सू.प्र. अ. [कोठे के अतिम कालम की छठी पक्ति) बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त अपकायिक जीवो का प्रत्येक जीवो का असंख्याता भाग विष्कम्भ सूची असख्यानगुणी दवमसखेज्जगुण सूक्ष्मवायुकायिक अवासमास के लिए आवे उसके लिए असंयतदृष्टियो छोड़रूप सम्यमिध्यावृष्टि औव अजगुणो/असंखेसच्च वैक्रियिकमिश्रकाययोगियो का णज्जदे उवसामगो भागरूप ध्र वराशि पंज में संख्यात ब पद रस्स राशि में से एक बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येक शरीर पर्याप्त अप्कायिक पर्याप्त जीवों का पर्याप्त जीवो का संख्यातवा भाग विष्कम्भसूची से असण्यातगुणी दव्बमसखेज्जगुण वायुकायिक अद्धासमास सम्बन्धी आवे तत्सम्बन्धी असंयतसम्यग्दृष्टियों जोड़रूप असयतसम्यग्दृष्टि जीव असंखेज्जगुणो/असञ्च वैक्रियि कमिश्रकाययोगि मिथ्यावृष्टियों का जाणिज्जदे उवसामगा भाग को ध्र वराशि ३६२ ४१४ ४१६ ४२६ ४३२ ४३२ ४३७ २७ ४३८ असंख्यात वि पररस्स राशि सम्बन्धी अवहारकाल में से एक इसे विष्कम्भसूची से एसे ४४४ जगच्छणो से
SR No.538043
Book TitleAnekant 1990 Book 43 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1990
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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