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२०,वर्ष ४३, कि०४
अनेकास
नरसिंहमूरि-रसनिरूपण।
अनेक विद्वानों ने लोकप्रिय ग्रन्थों की टोकायें लिखीं धर्मसरि-(१६वी ई०) साहित्य रत्नाकर, १० तरगो मे जिनमें काव्यप्रकाश, काव्यालंकार मादि पर टीकाये बहदो टीकायें इस पर प्राप्त है जिनके लेखक क्रमशः तायत से मिलती हैं। इनके लेखको ने इनमे जैनत्व का मल्लादिलक्ष्मणसूरि और वेंकट सूरि हैं।
___ कोई दृष्टिकोण नहीं अपनाया जो इनकी महानता, उपर्युक्त अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है धर्मनिरपेक्षता और विद्वता का परिचायक है। आवश्यकता कि यद्यपि सख्या की दृष्टि से अल्प ही काव्यशास्त्रीय है सभी ग्रन्यो पर आलोचनात्मक और शोधपरक दृष्टि कतियों का प्रणयन हुआ, पर गुणवत्ता की दृष्टि से वे पीछे से अध्ययन की। शोधाथी और विद्वद्वन्द इस दिशा में नहीं है। इनके अतिरिक्त १५-१६वी शती में अधिकांश अग्रेसर होगे, ऐसी माशा है।
सन्दर्भ सूची १. आचार्य हेमचन्द्र : डा. वि. भा. मुसलगांवकर १३. वही, पृष्ठ ६१॥ म. प. हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल १९७१, १४. सस्कृत काव्यशास्त्र का इतिहास : पटना, १० २६३
भाग-२। २. हेमचन्द्राचार्य जीवतचरित: वाठिया. चौखम्बा, १५. वही, पृ० २६५ (भाग-२)। विद्याभवन, वाराणसी १६६७ ।
१६. सं० का० का इति० : काणे, पृ० ४६८. ३. कुमारपाल चरित्र सग्रह : सपा० जिनविजयमुनि सिंघी १७. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास : भाम छः, पार्श्वनाथ जैन ग्रन्थमाला, बम्बई १९५६ ।
विद्याश्रम, शोध संस्थान, वाराणसी, पृ० ५७४ । ४. हेमचन्द, पृ० २०२
१८. मध्यकालीन सस्कृत नाटक : डा० रामजी उपाध्याय, ५. वही पृ०४३
पृ० १५७। ६. वही, पृ० १०४
१९. उनके विस्तृत परिचय के लिए देखें मेरा-'सस्कृत ७. सस्कन काव्यशास्त्र का इतिहास : अनु० इलबचन्द्र जैन नाटक और नाटककार' शीर्षक लेख, परिषद्
शास्त्री, मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी, पृष्ठ पत्रिका २२/२ । २५६।
२०. प्रबन्धकोष, पृष्ठ ६८। ८-६. वही पादटिप्पण, पृष्ठ २५६
२१. नाट्यदर्पण : प्रका० साहित्य भंडार मेरठ, भूमिका १०. संस्कृत काव्यशास्त्र का इतिहास : अनु० मायाराम पृ० ११ ।
शर्मा, बिहार, हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, पटना, १६७३, २२. जैन सन्देश-शोधांक, मथुरा, १८ दि. १६५८ ई० । भाग-दो, पृष्ठ-२२१।
२३. तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, ११. प्राचार्य हेमचन्द्र , पृष्ठ-११७ ।
____सागर, भाग ४, पृ० ३१ । १२. प्रबन्धकोष : सम्पा० जिन विजय सिंधी, जैन विद्या २४. "श्री सेन गणाग्रगण्य तपोलक्ष्मीविराजित सेनदेव पीठ १९३५, पृष्ठ-६१
यतीश्वर विरचितः" वही १०-३० ।