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डा० रामकुमार वर्मा, शांतिप्रिय द्विवेदी, गुलाब राय, सियारामशरण गुप्त रामचन्द्र वर्मा आदि की रचनाओं को प्रकाशित कर इन्हें जनप्रिय बनाकर हिन्दी साहित्य के भण्डार में भूतपूर्व सी वृद्धि की है ।
श्री "प्रेमी" जी द्वारा प्रणीत मौलिक ग्रन्थ
(१) अर्द्धकथानक,
(२) जैन साहित्य और इतिहास,
(३) जैनधर्म और वर्णव्यवस्था,
(४) तारणबन्धु,
(५) दिगम्बर जैन ग्रन्थकर्ता और उनके ग्रन्थ,
(६) भट्टारक मीमासा,
(८) विद्वद्रत्नमाला,
(८) हिन्दी जैन साहित्य का इतिहास,
अति-प्रन्थ :
(१) कर्नाटक जैन कवि,
(२) धूर्ताख्यान,
पं० नाथूराम प्रेमी का साहित्यिक प्रदान
(३) नाटक समयसार, ( ४ ) पुण्यास्त्रव कथाकोष, (५) पुरुषार्थ सिद्धयुपाय, (1) प्रतिमा (उपन्यास) (७) प्रद्युम्न चरित,
(८) मोक्षमाला,
(६) रवीन्द्र कथाकुन्ज, (१०) शिक्षा,
(११) सज्जनचित्त वल्लभ, ।
सम्पादित-ग्रन्थ :
(१) जिनशतक,
(२) दौलत-पद-संग्रह, (३) बनारसी विलास, ( ४ ) ब्रह्म विलास |
प्रन्थों की भूमिकाएं :
(१) आराधना,
(२) नीतिवाक्यामृत ।
सम्पादित पत्रिकाएं : (१) जैनमित्र, (२) जैन- हितैषी ।
स्फुट - महत्वपूर्ण आलेख :
(१) तीर्थों के झगड़ों पर ऐतिहासिक दृष्टि से विचार,
(२) दक्षिण के तीर्थक्षेत्र,
(३) हमारे तीर्थक्षेत्र ।
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श्री "प्रेमी" जी ने, अनेक संस्थाओं के संचालन में भी योगदान दिया है।
इस प्रकार पं० नाथूराम जी "प्रेमी" के दिव्य कृतित्व पर समग्रस्थ से विधार करने पर स्पष्ट होता है कि उनका भारतीय साहित्य, विशेषतः हिन्दी साहित्य के सम्बर्धन में महत्त्वपूर्ण अवदान है । ऐसे विराट् व्यक्तित्व के धनी श्री "प्रेमी" जी के विषय मे अभी तक किसी भी प्रकार से व्यवस्थित शोध-खोज का कार्य नहीं हुआ है । इसीलिए मैंने संकल्प किया है कि ऐसे महारथी - हिन्दी-सेवीसाहित्यसृष्टा और साहित्यकार प्रात्साहनकर्ता "पं० नाथूराम " प्रेमी" का साहित्यि अवदान" विषय पर अपनी पी-एच० डी० उपाधि के शोध-प्रबन्ध के माध्यम से उनकी साहित्य सेवा के सार्वभौम उदात स्वस्थ को साहित्य जगत में उजागर करूं ।
विश्वास है आप सभी सुधीजनों के कृपापूर्ण मार्गदर्शन और सक्रिय सहयोग से मैं अपनी इष्टपूत्ति मे सफल होऊगा ।
शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
दमोह (म० प्र०)