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परमागमस्य बोजं निषिद्धजात्यन्धसिन्धुरविधानम् । सकलनयविलसितानां विरोधमयनं नमाम्यनेकान्तम् ।। वोर-सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
वीर-निर्वाण सवत् २५१७, वि० स० २०४७
वर्ष ४३ किरण ४
अक्टूबर-दिसम्बर
१९६०
जिनवाणी महिमा
नित पीजो धी-धारी। जिनवानि सुधासम जान के, नित पोजो धो-धारी'। वीर-मुखारविन्द तें प्रगटी, जन्म-जरा-गद' टारी। गौतमादि गुरु उर घट व्यापी, परम सुरुचि करतारी ॥१॥ सलिल समान कलित-मलगंजन बुधमन रंजनहारी। भंजन विभ्रमधलि प्रभंजन, मिथ्या जलद निवारी ॥२॥ कल्यानकतरु उपवन धरनो'. तरनी भव-जल तारी। बंध विदारन पनी छनो, मक्ति नसनी सारी ॥३॥ स्व-पन स्वरूप प्रकाशन को यह मान कला अविकारी। मनिमन-कूमदनि-मोदन-शशिभा, शम-सुख सुमन-सुवारी॥४॥ जाको सेवत, बेवत निजपद, नसत अविद्या सारी। तीन लोकपति पूजत जाको, जान विजग हितकारी ॥५॥ कोटि जोमसों महिमा जाकी. कहि न सके पविधारी।
'दौल' अल्पमति केम कहै यह, अधम उधारन हारी ॥६।। १. बुद्धिमान, २. बीमारी, ३. नौका, ४. चांदनी, ५. बगीची, ६. इन्द्र ।