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वीर-सेवा-मन्दिर के उपयोगी प्रकाशन
जैन ग्रन्य-प्रशस्ति संग्रह, भाग १: संस्कृत और प्राकृत के १७१ अप्रकाशित ग्रन्थो की प्रशस्तियों का मगलाचरण
सहित अपूर्व संग्रह, उपयोगी ११ परिशिष्टों और पं० परमानन्द शास्त्रो की इतिहास-विषयक साहित्य
परिचयात्मक प्रस्तावना से अलकृत, जिल्द । .. नग्रन्य-प्रशस्ति संग्रह, भाग २ : अपभ्रंश के १२२ अप्रकाशित ग्रन्थों की प्रशस्तियो का महत्त्वपूर्ण सग्रह। पचपन
ग्रन्थ कारों के ऐतिहासिक ग्रंथ-परिचय और परिशिष्टो सहित। सं.पं. परमानन्द शास्त्री। सजिल्द । १५.०० समाधितन्त्र प्रौर इष्टोपदेश : प्रध्यात्मकृति, प० परमानन्द शास्त्री को हिन्दी टीका सहित श्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जैन तीर्थ : श्री राजकृष्ण जैन
३... जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश : पृष्ठ सख्या ७४, सजिल्द । कसायपाहसुस : मूल ग्रन्थ की रचना प्राज मे दो हजार वर्ष पूर्व श्री गुणधराचार्य ने की, जिस पर श्री
यतिवृषभाचार्य ने पन्द्रह सौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चूर्णिसूत्र लिखे । सम्पादक प हीरालालजी सिद्धान्त-शास्त्री। उपयोगी परिशिष्टो और हिन्दी अनुवाद के साथ बड़े साइज के १००० से भी अधिक पृष्ठों में। पूष्ट कागज और कपड़े की पक्की जिल्द ।
... २५.०० ध्यानशतक (ध्यानस्तव सहित) : संपादक प. बालचन्द्र सिद्धान्त-शास्त्री
१२-०. मैन लक्षणावली (तीन भागों में) : स०प० बालचन्द सिद्धान्त शास्त्री
प्रत्येक भाग ४०-०. जिन शासन के कुछ विचारणीय प्रसंग : थी पद्मवन्द्र शास्त्री, सात विषयो पर शास्त्रीय तकंपूर्ण विवेचन २.०० Jaina Bibliography : Shri Chhotelal Jain, (An universal Encyclopaedia of JainReferences) In two Vol. (P. 1942)
Per set 600-00
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सम्पादन परामर्शदाता श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन, सम्पादक : श्री पद्मचन्द्र शास्त्री प्रकाशक-बाबुलाल जैन वक्ता, वीर सेवा मन्दिर के लिए मद्वित, गीता प्रिटिंग एजेन्सी, डी०-१०५, न्यूसीलमपुर, दिल्ली-५३
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