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________________ वर्ष ४१ : कि० १ वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त ( पत्र-प्रवर्तक : श्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') इस अंक मेंविषय क्रम १. उपदेशी पद २. जैन साध्वाचार के आदर्श भगवान कुन्दकुन्द -डा० ज्योति प्रसाद जैन ३. पार्श्वनाथ विषयक प्राकृत अपभ्रंश रचनाएँ -डॉ० प्रेमसुमन जैन ४. समयसार क: दार्शनिक पृष्ठ --डॉ० दरबारीलाल कोठिया ५. आगम-तुल्य ग्रंथो की प्रामाणिकता का मूल्यांकन -- डॉ० एन० एल० जैन ६. आगम के मूल रूपों में फेर-बदल घातक है श्री पद्मचन्द्र शास्त्री ७. श्री ब्र० कुँवर दिग्विजयसिंह जी के शास्त्रार्थं ने मेरे द्वार खोले श्री पद्मचन्द्र शास्त्री 6149 बीर सेवा मन्दिर २१ दरियागंण १-११ ८. ग्रन्थ- प्रशस्तियों का उपयुक्त प्रकाशन डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन ६. क्या कुन्दकुन्द भारती बदलेगी ? - श्री पद्मचन्द्र शास्त्री १०. जरा सोचिए : -सम्पादक पृ० १ २ 5 १३ १७ २१ २३ २५ २३ जनवरी-मार्च १९८८ प्रकाशक : वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली- २
SR No.538041
Book TitleAnekant 1988 Book 41 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1988
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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