________________
१६,
कि०४०
अनेकान्त
संबंधित रही थी। सिरसा के अतिरिक्त संगमरमर की जन राजस्थान में बनी थी जहां से लेकर सिरसा तया अन्य मूर्तियां पिंजौर से भी प्राप्त हुई हैं। ये मूतियां मूलतः प्राचीन स्थलों पर निर्मित जैन मंदिरो में रखा गया था।
सन्दर्भ-सूची १. शुक्ल, एस. पी, स्क्लप्चर्स एण्ड टेराकोटाज इन दि ५. भट्टाचार्य, बी० सी०, उपरोक्त पृ० ३५
आयिलाजिल म्यूजिम, कुरुक्षेत्र, १९८३, पृ०५३, ६. संख्या ७२, १२३, ७२-१४० दृष्टव्य शुक्ल, एस० प्लेट ४७.३
पी०, उपरोक्त, पृ० ५५, प्ले० ५० । २. यह मूर्ति अभीमप्रकाशित है।
७. नेमिनाअ के लाछन (शल) और शासन देवता गोमेद ३. चक्रेश्वरी को भादिनाथ की यक्षिणी के रूप मे यक्ष तथा यक्षिणी अम्बिका का उल्लेख जैन अथो मे
गरुड़ासीन दिखलाया जाता है। जैन ग्रंथो के अनुसार मिलता है। जैन परम्परा के अनुसार वह कृष्ण तथा उनकी मूर्तियां चतुर्भुजी, (अष्टभुज) तथा द्वादशमुखी बलराम के चचेरे भाई माने जाते है। महाचार्य, बननी चाहिए। चतुर्भुजी मूर्ति के दो हाथों मे चक्र बी० सी०, उपरोक्त, पृ० ५७-५८ ।। होना चाहिए। भट्टाचार्य, बी. सी. दि दि जैन
८. शुक्ल, एस० पी० उपरोक्त पृ० ५४, प्लेट ४६ । आइकोनोग्राफी, १९७४ (पुनर्मुद्रण), पृ० ८६.८७ ६.सिंह, यू० वी०, पिजोर स्क्लप्चर्स कुरुक्षोत्र, '६७२, ४. जैन ग्रंथो के अनुसार (गोमुख) (यक्ष ब अभयमुद्रा अक्षमाला और पाश के साथ वृषभ सहित दिखलाया
प्राचीन भारतीय इतिहास सस्कृति बहुपाठक जाता है। (भट्टाचार्य, बी० सी०, उपरोक्त, पृ० ६७.
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ६८१ वृषभ-सिर दिखलाया जाना प्रतीकात्मक है।
हरियाणा-१३२११६ वृषभ को धर्म का प्रतीक माना जाता है।
'अनेकान्त' के स्वामित्व सम्बन्धी विवरण
प्रकाशन स्थान-वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ प्रकाशक-वीर सेवा मन्दिर के निमित्त श्री बाबूलाल जैन, २, अन्सारी रोड, दरियागज नई दिल्ली-२ राष्ट्रीयता--भारतीय प्रकाशन अवधि-त्रैमासिक सम्पादक-श्री पप्रचन्द्र शास्त्री, वीर सेवा मन्दिर २१, दरियागंज नई दिल्ली-२ राष्ट्रीयता-भारतीय मुद्रक-गीता प्रिटिंग एजेसी म्यू सीलमपुर, दिल्ली-५३ स्वामित्व-धीर सेवा मन्दिर २१, दरियागंज, नई दिल्ली-२ में बाबूलाल जैन, एतद् द्वारा घोषित करता हूं कि मेरी पूर्ण जानकारी एवं विश्वास के अनुसार उपर्युक्त विवरण सत्य है।
बाबूलाल जैन
प्रकाशक