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________________ जिला संग्रहालय पन्ना में संरक्षित बैन प्रतिमाएं शार्दल, नीचे दोनों ओर जिन प्रतिमायें, यक्ष, किन्नर एवं परिचारक तथा पादपीठ पर यक्ष-यक्षी का अंकन है। यक्षी कन्दर्पा (या मानषी) का अंकन है। पादपीठ पर प्रतिमा का आकार ७२४४०x१७ से. मी. है। करबद्ध मुद्रा में धर्मनाथ का ध्वज लाछन बज्र का अंकन कायोत्सर्ग मुद्रा में अंकित तीर्थकर (सं० ऋ० ८) के है । प्रतिमा का आकार ११६ ४ ३२४ २५ से. मी. है । सिर पर कुन्तलित केश लम्बवत कर्ण, अजान वाह-देव का तीसरी तीर्थकर धर्मनाथ की पद्मासन में बैठी प्रतिमा पर खण्डित है। ऊपरी पावं में मालाधारी विद्याधर हैं, का शिरोभाग खण्डित है, (सं० ऋ० ४५) ऊपरी भाग मे बायी ओर उत्कीर्ण विद्याधर प्रतिमा खण्डित है। नीचे दो मालाधारी विद्याधर तथा नीचे पादपीठ पर सिंह, मध्य मे। न र सिंह माय मे छोटी जिन प्रतिमायें बायी ओर के परिचारक के गले से लांछन बच्न का अंकन है। प्रतिमा का आकार ५७४ ऊपर का भाग खण्डिन है। परिचारको के पापर्व में उपा३५४ २२ से. मी. है। सक गण करबद्ध मुद्रा मे खचित है। मूति का आकार १२८४ ५० x ३० से. मी. है। नेमिनाथ-बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ पपासन की र ध्यानस्थ (स० क्र.६०) मुद्रा में बैठे हैं। तीर्थंकर का कायो सर्ग मुद्रा में अकित दूसरी तीर्थकर मूर्ति (सं. सिर, हाथ एव पैर खण्डित है। वितान में विछत्र, अभि- ऋ० ३) के सिर पर कुन्तालित केश, लम्बवत कर्ण, अजान षेक करते हुए गज, मालाधारी विद्याधरो का आलेखन है वाहु, ध्यानस्थ मुद्रा में उत्कीर्ण है । पीठिका मे दोनो ओर पावं में दोनों ओर चतुर्भजी अस्पष्ट देव, हाथियो पर खड़े सिंह मध्य में आसन पर अस्पष्ट लांछन उसमे दोनो ओर परिचारक उत्कीर्ण हैं। पादपीठ पर दायी ओर यक्ष गोमेद, दो-दो उपासक गण घुटने के सहारे बैठे अपने दोनो हाथो बायी ओर यक्षी अम्विका अंकित है। पादपीठ के मध्य में अस्पष्ट वस्तु लिए हुए दिखाए गए हैं। प्रतिमा का सिंह एव ध्वज लांछन शख का अंकन है। प्रतिमा का आकार १४८४४७४३८ से० मी. है। आकार ८२४५१४३० से. मी है। तीसरी कायोत्सर्ग मुद्रा में अकित तीर्थकर प्रतिमा (सं० ऋ० १६) का दायां हाथ व पैर खण्डित है। प्रतिमा "लांछन विहीन तीर्थकर प्रतिमाएँ" छत्र, प्रभामण्डल से युक्त है, ऊपर दोनों पाश्वों मे दो-दो संग्रहालय में आठ लांछन विहीन तीथंकर प्रतिमायें नितिमा नीचे वामिका हो संग्रहीत है। जिनमें तीन पगासन एव पांच कायोत्सर्ग ओर सिह मध्य मे आसन पर निर्मित लांछन अस्पष्ट है। मुद्रा मे अकित है। प्रथम पद्मासन में अकित लाछन विहीन प्रतिमा का प्राकार १०४४५०x२० से. मी. है। तीर्थकर (सं० ऋ० ३३) का अधिकाश भाग खण्डित है। पार्श्व मे चावरधारी परिचारक का अंकन है। पादपीठ के कायोत्सर्ग मुद्रा में अकित पांचवीं तीर्थंकर प्रतिमा के दोनो ओर यक्ष-यक्षी की अस्पष्ट प्रतिमायें अकित है। दोनों हाथ खण्डित हैं। (स० क्र. २२) ऊपरी भाग में दोनों ओर जिन प्रतिमायें कायोत्सर्ग मुद्रा में हैं। नीचे प्रतिमा का आकार ६६४५५ x २४ से० मी० है। मकर मुख, पार्थ में गज शार्दूल का अंकन है। पादपीठ __ दूसरी पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा में अकित तीर्थकर पर सिंह, उपासक, उपासिका, आसन पर ध्वज लांछन (स० ऋ० ४४) प्रतिमा का शिरोभाग खण्डित है। पार्व अस्पष्ट अकित है। प्रतिमा का आकार १२३४२७४२७ में परिचारकों का अकन है। प्रतिमा का आकार ४२x ४०x१६ से० मी० है। से० मी० है। तीसरी पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा मे अंकित प्रतिमा सर्वतोभद्रिका-अलकृत स्तम्भ प्रकोष्ठ के मध्य चारों का सं० ऋ० ५२) शिरोभाग व पैर खण्डित है। ऊपरी (सं० ऋ० १३) पद्मासन में तीर्थकर प्रतिमायें अंकित है। भाग में छत्र मालाधारी विद्याधर दो-दो जिन प्रतिमायें ऊपरी भाग में एक जिन प्रतिमा दाहिनी ओर कोने पर उनके नीचे तीन-तीन कायोत्सर्ग मुद्रा मे जिन प्रतिमा, (शेष पृ० २५ पर)
SR No.538040
Book TitleAnekant 1987 Book 40 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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