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जिला संग्रहालय पन्ना में संरक्षित जैन प्रतिमाएँ
0 श्री नरेशकुमार पाठक'
जिला संग्रहालय पन्ना की स्थापना जिला पुरातत्व सुमतिनाथ का लांछन चक्र तथा उसके दोनों ओर उपासक संघ पन्ना एवं मध्य प्रदेश पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग करबद्ध मुद्रा मे दोनों के सहारे बैठे द्रष्टव्य है । प्रतिमा का के सहयोग से १९७४ में की गई संग्रहालय में कुल ७३ आकार १११४७६x२५ से. मी. है। प्रतिमायें एवं कलाकृतियां संग्रहीत है, जो कि हिन्दू एव सुपार्श्वनाथ–सातवे तीर्थकर सुपार्श्वनाथ कायोत्सर्ग जैन धर्म से सम्बन्धित है, जिनमे २० जैन प्रतिमायें संग्र- मुद्रा में शिल्पांकित हैं। (सं० कृ. २४) सिर के ऊपर होत हैं, ये सभी जन मूर्तियां पन्ना नगर एव जिले के पांच फण नाग मौलि का आलेखन है । दायां हाथ खण्डित अन्य शिल्प केन्द्रो से प्राप्त हुई है । जो कि चन्देल कालीन है। वितान मे त्रिछत्र, अभिषेक करते हुए गजराज दोनों शिल्प शैली की हैं । सरक्षित प्रतिमाओं का विवरण निम्न- ओर दो-दो जिन प्रतिमा उत्कीर्ण है। तीर्थकर के दाहिने लिखित हैं:
पार्श्व में मकर मुख, गज शार्दूल व परिचारक का अंकन प्रादिनाथ-प्रथम तीर्थतर ऋषभनाथ जिन्हे आदि- है। नीचे दाहिनी ओर यक्ष तुम्बर तथा यक्षी पुरुषदत्ता नाथ भी कहते है, की सग्रहालय मे दो प्रतिमाये सग्रहीत (नरदत्ता) का आलेखन है। प्रतिमा का आकार १०६x हैं। प्रथम प्रतिमा मे पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा मे (स० ४०४ २५ से० मो० है। ऋ० ७) उत्कीर्ण तीर्थकर आदिनाथ के पेर एवं मुख की विमलनाथ-तेरहवे तीर्थंकर विमलनाथ कायोत्सर्ग ठड्डी आशिक रूप से खण्डित है। वितान मे अभिषेक मुद्रा मे अकित है। प्रस्तर खण्ड का (सं० ऋ०६२) करते हुए गज, मालाधारी विद्याधर युगल एव जिन प्रति- दक्षिण पार्श्व व तीकर्थर का पैर खण्डित है। वाम पार्श्व मायें अकित है । पादपीठ पर परिचारक तथा पादपीठ के ऊपर से क्रमशः अलंकृत प्रकोष्ठ के मध्य कायोत्सर्ग मे जिन नीचे यक्ष गोमुख एवं यक्षी चक्रेश्वरी अकित है। मध्य में प्रतिमा, पद्मासन में जिन प्रतिमा, परिचारक अकित हैं। आसन पर आदिनाथ का ध्वज लांछन वृषभ का आलेखन नीचे आसन पर लांछन वराह का अंकन है। नीचे निमित है। प्रतिमा का आकार ११४७४ ३१ से० मी. है। कायोत्सर्ग में निर्मित तीर्थकर प्रतिमा व परिचारक अकित
दूसरी मूर्ति में भी भगवान ऋषभनाथ पद्मासन की हैं। पादपीठ के ऊपर अस्पष्ट लांछन अंकित है। प्रतिमा ध्यानस्थ मुद्रा में उत्कीर्ण है। (स.क्र. २६) वितान मे का आकार १३७४७५४३१ से० मी० है।
जाभिषेक दोनो ओर जिन प्रतिमा एमालामा धर्मनाथ-- पन्द्रहवें तीर्थकर धर्मनाथ की सग्रहालय मे घर अंकित हैं। नीचे दोनो और जिन प्रतिमायें. परि- तीन प्रतिमायें संग्रहीत हैं । प्रथम कायोत्सर्ग मुद्रा मे तीर्थकर चारक तथा पादपीठ पर दायी ओर यक्ष गोमुख और धर्मनाथ (सं० कृ० १५) अंकित हैं। ऊपरी भाग में बायी ओर यक्षी चक्रेश्वरी का आलेखन है। मध्य में सिंह त्रिछत्र; गजाभिषेक, मालाधारी, विद्याधर उनके नीचे तथा आसन पर आदिनाथ का ध्वज लांछन नन्दी (वषभ) उकड बैठे परिचारक का अंकन है। पादपीठ पर दोनों बना हुआ है। प्रतिमा का आकार १४५४१०५४४० ओर सिंह, मध्य में लांछन बच का अंकन है। प्रतिमा का से० मी. है।
आकार ११६+३२x२५ से० मी० है। समतिनाथ-पांचवें तीर्थकर सुमतिनाथ की प्रतिमा दूसरी कायोत्सर्ग मुद्रा में अकित तीर्थकर धर्मनाथ पद्मासन की ध्यानस्थ मुद्रा में अंकित है। (सं० ऋ० ६) को मूर्ति के ऊपरी (सं० ऋ० २३) भाग में त्रिछत्र, दोनों मुख व वक्ष स्थल खण्डित है। पादपीठ पर सिंह, मध्य में ओर कायोत्सर्ग मुद्रा में जिन प्रतिमायें, मकर मुख, गज,