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________________ ६ वर्ष ३८, कि०२ श्री जिन चरण हृदय रह सकल कौति उपदेश । चार लब्धि इह जीव के, भई अनन्त जु वार । पण्डित सिरोमणि दास कों शिवपुर-देहु-प्रवेश ॥४॥ करण लब्धि जब आव ही, उपजे समकित सार ॥८॥ इति श्री धर्मसार अन्य भट्टारक श्री सकल कोतिउपदेशात् पण्डित शिरोमणि विरचिते राजा मुनु श्रेणिक समकित को वास, मेणिक प्रश्न करण वर्णनो नाम प्रथमो सन्धि ॥१॥ समकिति उत्पति चिन्ह विनास । अथ द्वितीय सन्धि प्रारम्यते : भूषण, दूषण, हैं अतिचार, पुनि गुण वरनो अष्टो सार ॥६॥ चौपाई प्रभु मुख निर्मल ध्वनि जब ठई, अथ सम्यक्त्व यथा सत्य प्रतीति अवस्था जाकी, अर्ध मागधी वाणी ठई। समता सब सों दिन दिन ताकी। द्वादशांग मुनि गण घर कर, सत्य को लाभ क्षण क्षण होय, सकल भव्य के पातक हरे॥१॥ समकित नाम कहावै सोय ॥१०॥ गणधर कहै सुनिर्मल वाणी, सुन श्रेणिक तुम थिर चित आनी। अथ उत्पत्ति धर्म मूल सम्यक्त्व कहावे, के तो सहज ऊपज आय, जातें जीव महा सुख पावै ॥२॥ के मुनिवर उपदेश बताय । चारो गति में समकित होई, जिनवर वाणी निश्चय कर, यह उत्पत्ति जो तुम लोई ॥११॥ गुरु निर्ग्रन्थ सत्य मन धरै । दया धर्म कहिए संसार, अब चिन्ह यह समकित तार भव पार ॥३॥ आपा पर सों कर विशेष, सात प्रकृति जब उपशम कर, उपज नही सन्देह अशेष । उपशम समकित तव जीव धर। सहज प्रपच रहित हितकारी, पुनि सातऊ की कर निरासा, समकित चिन्ह धरै सा चारी ॥१२॥ क्षायक समकित है गुण वासा ॥४॥ अथ नाश दोहा कछु उपशम कछु नासै लोइ, ज्ञान गर्व मति मन्दता, निठुर वचन उद्गार । वेदक समकित कहिए सोइ। रुद्र भाव आलस दशा, नाश पांच प्रकार ॥१३॥ तीनों मिलि पुनि नवधा भए, अब दूषण दसधाभेद अवर जिन कहै ॥५॥ चित्त प्रभावना मन में ठाने, हेय उपादेय लक्ष्य न जाने । अब समकित उत्पत्ति, चिन्ह, नासन, भूषण, दूषण, धारज सहज हरषता हाय, प्रवानजुपच भूषण सोय ॥१४॥ अतिचार गुण, गति, फल वर्णन कम्यते अब दूषण षट् अनायतन मूढ़ त्रिक, मद अष्टौजिय जानि । अध, अपूर्व, बनवृत्ति त्रिक, करण कर जो कोह। शंकादिक अष्टो कहै, ए पच्चीस वखानि ॥१५॥ मिथ्या ग्रन्यि विदारि के गुण प्रकटे समकित होइ॥६॥ अब षट् अनायतन सात बीस जे तत्व है, वर्तत तीनो काल । कुगुरु कुदेव कुधर्म धर कुगुरु कुदेव कुधर्म । तिनके भेद विचार में, समकित होय तत्काल ॥७॥ इनकी कर सराहना, यह षट् अनायतन कर्म ॥१६॥
SR No.538038
Book TitleAnekant 1985 Book 38 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1985
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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