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________________ वोर सेवा मन्दिर का मासिक अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'पुगवीर') वर्ष ३५ कि.१ जनवरी-मार्च इस अंक में विषय १. बादिनाथ जिन-स्तवन २. यह कैसा अपरिग्रहबाद है ? -डा. ज्योति प्रसाद जैन, लखनऊ ३.पं. शिरोमणिदास की द्वादसानुप्रेका -श्री कुन्दनलाल जैन, प्रिन्सिपल, दिल्ली ४. पं० अनदेव कृतवण द्वादशी कथा -श्री १० रतनलाल कटारिया, केकड़ी ५. मेघदूत और पार्वाभ्युदय--श्री कपूरचन्द जैन, खातौली ६.हेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं -श्री नरेश कुमार पाठक ७. उत्तम ब्रह्मचर्य : एक अनुशीलन -डा. कस्तूरचन्द्र 'सुमन' श्री महावीर जी १६ ८ आधुनिक युग मे जैन सिद्वान्तों का महत्व -कुमारी डा. सविता जैन ६. श्रुत स्वाध्याय का फल-पुण्याश्रव कथा कोश से २३ १०. तीर्थंकर महावीर और अपरिग्रह--- -श्री पद्मचन्द्र शास्त्री, नई दिल्ली ११. अपरिग्रह और उत्कृष्ट ध्यान - श्री पचन्द्र शास्त्री, नई दिल्ली १२. जरा सोचिए-सम्पादक - प्रकाशक वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538038
Book TitleAnekant 1985 Book 38 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1985
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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