________________
प्रथम प्राणी विज्ञान (Zoology) विशेषज्ञ-अन कवि हसदेव आरम्भ काल होती है। यदि प्रसव शरद ऋतु में होता योनी प्राप्त होती है। पक्षी बड़े चतुर होते हैं अपने अण्डे है तो बच्चे दुर्बल और शक्ति हीन होते हैं। बच्चे ६-४ कब छोड़ना चाहिए इसका विस्मयकारी बोध इन्हें जन्म माह तक ही मां का दूध पीते है फिर गरज गरज कर से ही प्राप्त होता है, ये पक्षी घर और वन दोनों की ही शिकार की तलाश मे भागने दौड़ने लगते हैं, इन्हे चिकना शोभा है।
और कोमल मांस अधिक रुचिकर होता है। इनका किशोर काल २-३ वर्ष की आयु से प्रारभ होने लगता
इनसे प्यार करना भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है।
तोता, मैना, हंस, तीतर, बटेर आदि पक्षी अभी भी पाले है तथा तभी से इनके क्रोध की मात्रा भी बढ़ने लगती है।
जाते हैं। पक्षियों में सबसे अधिक चतुर कोयल होती ये लोग भूख सहन नहीं कर पाते हैं और पूर्णतया निर्भीक
है जो अपने बच्चो का पालन कोओं से करवाती है इसीहोते हैं । इसीलिये ये पशुओं के राजा कहलाते हैं।
लिए सस्कृत में कोयल को परभृत' शब्द से पुकारा जाता ग्रन्थ में प्रत्येक प्रकार के शेर की विभिन्न विशेष- है । ग्रन्य के इस भाग में हंस, चन्द्रवाक, सारस, गरुड़, ताओ का विस्तार से वर्णन किया गया है जैसे सिंह की काक, वक, शुक, मयूर, कपोत आदि अनेकों पक्षियों के गर्दन के बाल बड़े घने होते है । मुनह ना होता है पीछे नाना प्रकार भेद व वर्गों का वर्णन किया गया है, इनके की ओर कुछ कुछ सफेद होता हे और वे तीर की भांति सौन्दर्य और सुकुमारता का बड़ा ही मनोहारी एवं रोचक तेज दौड़ते है। परन्तु मगेन्द्र की गति गभीर और मद वर्णन दिया गया है। इसमे कुल २२५ पशु पक्षियों का होती हैं इसकी आखें सुनहली और मुझे बड़ी बड़ी लम्बी विवरण बडे विस्तार एव रोचकता से सटीक एव प्रामाणिक होती है इसके शरीर पर चकत्ते होते है। पचास्य उछल- ढ़ग से प्रस्तुत किया गया है जो विज्ञान की कसौटी पर उछल कर चलता है, इनकी जिह्वा बाहर लटकती रहती सर्वथा खरा उतरता है। पर खेद हैं कि इतने बड़े है, इन्हे नीद बहुत आती है हर समय ऊघते ही रहते है। वैज्ञानिक विद्वान कवि हंसदेव का विस्तृत जीवन परिचय हर्यक्ष को हर समय पसीना ही आता रहता है। केसरी
हमे उपलब्ध नही हो पा रहा है। कृपालु पाठकों से का रंग लाल होता है जिसमे धारियो पड़ी रहती है।
है निवेदन है कि जिन्हे इस सबंध मे जो भी जानकारी हरि का शरीर छोटा होता है। इसी तरह और भी अन्य
उपलब्ध हो उसे पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित करावें तथा पशु, पक्षी, हाथी, घोडे, गाय, बैल, बकरे, गधे, कुत्ते, मुझ भी निम्न पते पर सूचित कर कृतार्थ करे । इत्यल बिल्ली, चहे आदि के अनेको भेद वर्ग तथा विशेषताए इस लेख के लिए अक्तूबर १९८१की सरस्वती पत्रिका का दर्शापी गई है। कवि ने परि समापन करते हुए लिखा है उपयोग किया गया है एतदर्थ कृतज्ञता एवं आभार कि इन पशु पक्षियों की रक्षा से मनुष्य को बड़ा लाभ प्रदर्शित करता है। तथा पुण्य प्राप्ति होती है और ये प्राणी मनुष्य को नाना तरीको से सहायता एवं मदद करते हैं ।
"श्रुत कुटीर"
६८, कुन्ती मार्ग विश्वास नगर अथ का दूसरा भाग पक्षियो से सम्बन्धित है जो
शाहदरा दिल्ली-११००३२ अण्डज कहलाते हैं । जो उन्हें अपने कर्मानुसार यह अण्डज
१५ जुलाई २४
'कम्ममसुहं कुसीलं सुहकम्म चावि जारणह सुसोलं। सीलं जं संसारं पवेसेदि ॥'
कुन्दकुन्दाचार्य