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अनेकान्त
१४३७०२
'उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फिरोजाबाद से २२ मील दूर मसलगंज स्थान पर एक मन्दिर है। मुख्य बेदी पर भगवान् ऋषभदेव की श्वेत पाषाण पद्मासन प्रतिमा है तथा बायीं बेबी मे मूलनायक शांतिनाथ की प्रतिमा के साथ-साथ आठ पाषाण खड्गासन प्रतिमाएं एव दोनों ओर पाँच फुट अवगाहना वाली दो बद्गासन आधुनिक प्रतिमाएं हैं।
उत्तरप्रदेश के ललितपुर जिले के बानपुर गांव मे मन्दिर नम्बर चार में भगवान् शान्तिनाथ की प्रतिमा विराजमान है जो १५ फुट ऊंची खड्गासन है ।
भगवान्
ललितपुर जिले के मदनपुर कस्बे मे जमीन तल से ३ फीट चे आसन पर एक विशालकाय सान्तिनाथ का मन्दिर है। यह २० फीट ऊचा, १८ फीट लम्बा तथा १३ फीट चौड़ा है। मन्दिर के शिखर पर एक सुन्दर कोठरी है, मन्दिर से लगा द्वार के सामने १३ फुट का एक चबूतरा है जिस पर पत्थरो के पायों पर बरामदानुमा बना है । मन्दिर का मुख पश्चिम मे पचमढी की बोर है। मन्दिर मे प्रवेश करने के लिए फुट ऊचा, ४ फुट चौड़ा द्वार है । इस द्वार के ऊपरी भाग पर पद्मासन मूर्ति है। द्वार से प्रवेश कर ४ फुट गहरा मन्दिर का गर्भालय बना है । उसमे ३ मूर्तियां खड्ासन ध्यानस्थ ' में अष्ट प्रतिहार्य युक्त खड़ी है मध्य में १० फुट उत्तुंग मुद्रा भगवान् शान्तिनाथ की प्रतिमा है जो संवत् १२०० की है। मूर्ति के बांयें दांयें महावीर और अरहनाथ की प्रतिमा है। गर्भालय का फर्म छिन्न-भिन्न हो गया है। दो विशालकाय मूर्तियों के घड पड़े हैं। एक दो वर्गफुट की चौमुखी मेरु गर्भालय में रखी है। मन्दिर के उत्तर की और बाहर पत्थर पड़ा है जिस पर १-१ फूट की १५ मूर्तियां बनी हैं। इस मन्दिर से ३०० मीटर चम्पोगढ़ है । '
'चम्पोगढ़ के दक्षिण में एक अर्ध भग्नावशेष दूसरा मठ है जिसमें शांति, कुंथ और अरहनाथ की मनोज्ञ प्रतिमाएं चड़ी हैं तीनों पर प्रशस्ति लिखी है। मध्य की पूर्ति फूट उंची शेष दो ३ फुट ऊंची और टूटे हाथ वाली है।"
"चम्पोगढ़ से कोई दो फर्लांग दूर मोदीमढ़ मे एक मन्दिर है । इसका शिखर जीर्ण-शीर्ण है। गर्भगृह का फर्श उखड़ा हुआ है । मढ़ की दीवार ५ फुट चौड़ी, ऊंचाई २५ फुट तथा इसके अन्दर तीन मूर्तियां हैं।
मध्य में
भगवान् शाँतिनाथ की 8 फुट ऊंची तथा दायें-बायें अरहनाथ और कुन्युनाथ की प्रतिमाएं है जिस पर फाल्गुन शुक्ल ४ संवत् १६८६ अंकित है। इसका मुख्य द्वार ६ फुट ऊंचा और ४ फुट चौड़ा है।"
"चौबीसवें तीर्थदूर पार्श्वनाथ की जन्मभूमि वाराणसी (काशी) के भे नूपुरा मुहल्ले में दिगम्बर जैन मन्दिर है । इस मन्दिर मे तीन वेदियां हैं। दायी ओर की वेदी में बायीं ओर मे कृष्ण पाषाण के फलक पर भगवान् शांतिनाथ की उत्सर्ग मुद्रा मे ३ फुट ऊंची प्रतिमा है। इसके परिकर मे भक्त हैं । दायी ओर भगवान् का गरुड यक्ष और महामानसी यक्षिणी है। दोनों ही द्विभुजीय है। यक्ष के हाथ में फल तथा वज्र है । यक्ष के ऊपर गोद में बालक लिये पक्षी बड़ी है। ऊपर इन्द्र पारिजात पुष्प लिए बड़ा है। उसके बगल मे तथा ऊपर अर्हन्त खड्गासन प्रतिमा है । उनके ऊपर गज है, जिस पर कलश लिए हुए इन्द्र बैठा है । फिर आकाशचारी देव देवियों कमल पुष्प लिए दीख पडती है। छत्रछयी के ऊपर वाद्ययन्त्र बजाता एक पुरुष है, उसके कधे पर स्त्री बैठी है।"
'प्रयाग म्यूजियम में पपोसा से प्राप्त १२वीं शती की भूरे बलुए पाषाण की पद्मासन में स्थित और अवगाहना दो फुट तीन इंच की भगवान् शान्तिनाथ की प्रतिमा है । इसके दोनो ओर बङ्गासन प्रतिमा है। उनके ऊपर कोष्ठक में पद्मासन प्रतिमाएं उत्कीर्ण है। भामण्डल का अंकन कला पूर्ण है । अधोभाग में यक्ष यक्षिणी तथा शीर्ष भाग मे पुष्प लिए आकाशचारी देव है।
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त उड़ीसा में प्राचीन काल से एक प्रधान धर्म के रूप मे जैन धर्म का प्रचलन रहा है । कटक तथा भुवनेश्वर में भगवान् शान्तिनाथ की मनोहर मूर्तियां मिली है। 'कटक मे जैन मन्दिर में भगवान् शान्तिनाथ की पाषाण मूर्ति मिलती है।" भवनेश्वर म्यूजियम में भगवान् शान्तिनाथ की दिगम्बर प्रतिम उपलब्ध है ।
'खुजराहो के अनेक प्राचीन जैन मन्दिर की सामग्री से पता चलता है कि लगभग १०० वर्ष पूर्व यहां भगवान् शान्तिनाथ के विशाल मन्दिर का निर्माण हुबा था। इस मन्दिर में मूल नायक १६वें तीर्थंकर शान्तिनाथ की १२ फुट ऊंची कायोत्सर्ग मुद्रा की अतिशय मनोश प्रतिमा विराजमान है। इस मूर्ति पर चमकदार पालिश है तथा