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________________ बोर सेवा मन्दिर का प्रैमासिक अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर') ३७: कि०१ जनवरी-मार्च १५४ इस अंक में विषय १. मुनिवर-स्तुति २. महाकवि स्वयंभू विषयक शोध-खोज -डा. ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ ३. 'बाही स्तोत्र' एक समस्या-पूर्ति -श्री कुन्दनलाल जैन, प्रिन्सिपल, दिल्ली ४ गुना में संरक्षित 'खो' की जैन प्रतिमाएं -श्री नरेशकुमार पाठक, ग्वालियर ५. बिजौलिया पभिलेख (वि. सं. १२२६) में जैन दर्शन विषयक सिद्धान्तो का उल्लेख -श्री कृष्ण गोपाल शर्मा, जयपुर ६. शान्तिनाष पुराण का काव्यात्मक वैभव • मृदुलकुमारी शर्मा ७. हमारा व्यवहारिक आचार-श्री बाबूलाल जैन १७ ८. लोक-प्रतिष्ठा और बात्म-प्रशंसा १. ताकि सनद रहे और काम आए १०. मूल-चन संस्कृति : 'अपरिग्रह' -श्री पाचन शास्त्री २४ ११. जरा-सोचिए-संपादक १२. श्रद्धांजलि-डा.ज्योति प्रसाद जैन आवरण :२ १३. साहित्य-समीक्षा २०६ वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538037
Book TitleAnekant 1984 Book 37 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1984
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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