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स्मरणाञ्जलि प्रस्तुत 'किरण, के साथ 'अनेकान्त' अपने ३७ वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इसकी सफलता में हमारे विद्वान लेखकों एवं प्रबुद्ध पाठकों का जो सराहनीय योगदान रहा है उसके लिए हम हवय भारी है। इस अवसर पर हम मनेकान्त के प्रवर्तक, निर्माता एवं सम्सवक, सरकारिता मुमलि प. प्राचार्य जुगलकिशोर मुख्तार 'गवीर' का कृतज्ञतापूर्वक साबर स्मरण करते हैं। गत २२ दिसम्बर १९८३ को उनकी १५वीं पुण्य तिथि पी, और उसके कई दिन पूर्व, मार्गशीर्ष शु० ११ वि. सं. २०४० (१५ विस०, १९८३ ई०)को उनकी १०६ वीं जन्मतिथि थी। उस निःस्वार्थ एवं समपित संस्कृति-सेवीके सजीव स्मारक 'अनेकान्त' जैसी त्रैमासिक शोधपत्रिका, दिल्ली का बोरसेवा मन्दिर संस्थान एवं भवन, एटा से संचालित उनकी शेष निजी सम्पत्ति का बा० जुगलकिशोर मुल्तार 'युगवीर' ट्रस्ट, जिससे उसके सुयोग्य मन्त्री डा. दरबारीलाल कोठिया न्यायाचार्य उपयोगी साहित्य का प्रकाशन करते रहते हैं। और सरसावा में मुख्तार सा.का विशाल वोर सेवा मन्दिर भवन जो समाज के ही उपयोग में माता है। जिसमें विद्यालय आदि चलते हैं । अनेकान्त एवं वीर सेवा मंदिर परिवार की मोर से हम उस महामना की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
डा. ज्योति प्रसाद जैन
प्रकाशन स्थान-पीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ प्रकाशक-बीर सेबा मंदिर के निमित्त श्री रत्नत्रयधारी जैन, जनपथ सेन, नई दिल्ली राष्ट्रीयता-भारतीय प्रकाशन अवधि-त्रैमासिक संपादक-श्री पपचन्द्र शास्त्री, वीर सेवा मन्दिर २१ परियागंज, नई दिल्ली-२ राष्ट्रीयता-भारतीय स्वामित्व-चीर सेवा मन्दिर २१, दरियागंज, नई दिल्ली-२
मरलमान, खद् द्वारा घोषित करता हूं कि मेरी पूर्ण जानकारी निवाबनुसार उपर्युक्त विवरण सत्य है।
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