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________________ वीर सेवा मन्दिर का मासिक अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवोर') वर्ष ३६ : कि०१ जनवरी-मार्च १९३ क्रम - इस अक मेंविषय पृ० १. उपदेशी पद-कवि बनारसीदास जी २. जैनधर्म का प्राचीनत्व-डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन २ ३. महाकवि रहधूकृत रिट्ठणेमिचरिउ में सोनागिर की भट्टारकीय गद्दी का उल्लेख -डॉ० राजाराम जैन ४. स्थानीय संग्रहालय पिछोर में सरक्षित जैन प्रतिमाएं-श्री नरेशकुमार पाठक ५. ज्ञायक भाव-श्री बाबूलाल 'वक्ता' १.जनदर्शन में सप्तभगोवाद-थी अशोककुमार जैन १० ७.विश्वशान्ति में महावीर के सिद्धान्तो की उपादेयता -कु० पुखराज जैन ८. विवेकी विद्वानों के लिए-श्री महाचन्द जैन १८ ६. विद्यानुवाद और कैन्सर रोग : -श्री प्रभुदयाल कासलीवाल १०. विचारणीय प्रसंग-पद्मचन्द्र शास्त्री ११. श्रावक की ग्यारहवीं प्रतिमा-पपचन्द्र शास्त्री २५ १२. जरा सोचिए-सम्पादकीय २६ १३. अग्रणी साहित्यान्वेषी स्व० अगरचन्द नाहटा -डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन आवरण २ १४... सीतलप्रसाद जन्म शता. समारोह डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन प्रकाशक वीर, 'सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538036
Book TitleAnekant 1983 Book 36 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1983
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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