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शकि. १
अनकान्त
की संख्या २३५० है। इस संग्रह के कुछ अन्य तो खास १०. अनेकार्थ संग्रह टीका मोहर संग्रह से स्थानान्तरित हये है । इसके अलावा इममे ११. अभिधान नाममाला. हेमचन्द्र पोथीखाने के कर्मचारियों द्वारा लिखित, अन्य लेखको, १२. पभिधान चिन्तामणि नाममाला पण्डितों, कवियों प्रादि द्वारा भेंट में प्राप्त एव अभ्य श्रोतों १३. अर्जुन पनाका से उपलब्ध ग्रन्थ हैं। तृतीय पुण्डरीक संग्रह में २८५१ १४. प्राचाराग सूत्र प्रदीपिका जिनहस मूरि प्रन्थ है जो सवाई जयसिंह प्रथम (वि०म० १७५६-१८००) १५. प्रादि पुराणम् के गुरु रत्नाकर पुण्डरीक और उसके विद्वान उत्तरा- १६. प्राप्त मीमासाल कृति धिकारियों द्वारा सकलित है। चतुर्थ मुद्रित ग्रन्थों को १७. एकाक्षरी नाममाला कोश, वररुचि संख्या ३,००० के लगभग है। इस प्रकार पोथीखाने के १८. एकीभाव स्तोत्रम् वादिराज विभिन्न सग्रहो मे कुल १६००० ग्रन्थ है जो सस्कृत, १६. भौचित्य विचार चर्चा, क्षेमेन्द्र प्राकृत, अपभ्रश, ब्रज, बंगला, मराठी, राजस्थानी और २०. कर्म ग्रन्थ (कर्म विपाक व्याख्या), देवेन्द्र सूरि गुजराती भादि भाषामो मे वेद, स्मृति, पुराण, धर्मशास्त्र, २१. कर्म विपाक इतिहास, वेदान्त, न्याय, योग, मीमासा, बौद्ध, जैन, स्त्रोत्र, २२. कल्याण मन्दिर स्तोत्रम तंत्र, भागम, मत्र-शास्त्र, काव्य, नाटक, चम्पू, व्याकरण, २३. कल्याण मन्दिर, कुमुदचन्द्राचार्य निघण्ट, कोष, छन्द-शास्त्र, रस, अलकार, आयुर्वेद, २४. कल्याण मन्दिर सभाष्यम्, प्रवराज श्रीमाल ज्योतिष, कामशास्त्र प्रादि से सम्बद्ध है।
२५. कैवल्य कल्पद्रुम (स्वराज्य सिद्धि व्याख्या) 'खास मोहर सग्रह' के ग्रन्थों की सूची का प्रकाशन २६. ग्रह भाव प्रकाश (भुवन दीपक पद्मप्रभ सुरि) "Literay Heritage of tbe Rulers of Amber २७. चतुविशति जिनस्तोत्रम् & jaipur" नामक पुस्तक मे श्री गोपालनारायण बहरा २८. चतुर्विशति तीर्थकर स्तोत्रम् के मम्पादकत्व में हो चुका है। जैन संस्कृत प्रन्यो को २६. चन्द्रप्रभ स्तोत्रम् सूची इसी के प्राधार पर यहाँ दी जा रही है :-- ३०. चिन्तामणि पाश्वनाथ स्तोत्रम्
पोथीलाने के 'खास मोहर सग्रह' मे २५० के लगभग ३१. छन्दोऽनुशारनम्, हेमचन्द्राचार्य जैन ग्रन्थ उपलब्ध होते है; जिनमे १२२ हिन्दी भाषा के ३२. जिन तीर्थक गः और शेष सस्कृत के है। हिन्दी ग्रन्थो की सूची वीरवाणी ३३. जिन पजर स्तोत्रम् एवं महावीर जयन्ती स्मारिका १९७८ मे मेरे प्रकाशित लेख ३४. जिनराज स्तव "जयपूर पोथीखान का हिन्दी जैन साहित्य" में दी जा ३५. जिन सहस्रनाम स्तोत्रम, ग्राशाघर चुकी है । सस्कृत ग्रन्थों की सूची इस प्रकार है:- ३६. जिन स्तवन सग्रह १. प्रकलक स्तोत्रम्
३७. जिन स्तुति (समाचारि) २. अनेकार्थ कोश
३८. जिन स्तुति, अभय मूरि ३. अनेकार्थ ध्वनि मंजरी, क्षपणक
३६. जिन स्तोत्र संग्रह , वनि मजरी हेमचन्द्र
४०. जैन मंत्र पाठ ५. नाम माला, हेमचन्द्र
४१. जैन मंत्र सग्रह , नामवृत्ति
४२. जैन यंत्र लेखन विधि ,, मजरी-प्रटीक
४३. जैन स्तोत्रादि संग्रह ,, शब्द सख्या कोश
४४. ज्ञाता धर्म कथा सूत्रम् , संग्रह, हेमचन्द्र
४५. ज्ञाता धर्म कथा सूत्रम् सटम्बार्थम्