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भगवान गोम्मटेश्वर की प्रतिमा का माप
६.१/४ हस्त । अगुष्ठ की लम्बाई २.१/४ हस्त । चरण क्षमा करेंगे और यदि कही कोई त्रुटि हो तो मुझे अवगत का अंगुष्ठ ४.१/२ (१) चरण की लम्बाई ४ हस्त । अंगुल। कराने की महती अनुकम्पा करें मैं पति अनुग्रहीत होऊंगा।
उपर्युक्त विभिन्न नापों में पं० शान्तराज का मार सिस्टर एषानन के अनुसार यह २१ मी. पर से है। श्री बहुत अधिक प्रामाणिक और ऐतिहासिक है अब प्रावश्यकता पार्थर वेल्सली के अनुमार १८ मी० ३६ सें. है। मि. है। इसे मीटर प्रौर , मेंटीमीटरों में बदलने की जिससे ___ वोरिंग के अनुसार १७ मो० ३७ सं० है। डा० जैनेन्द्र माधुनिक गणित विशेषज्ञ इस प्रतिमा की निर्माण पद्धति से जैन इंदौर के अनुसार १७ मी० २ से है और पं० शान्त परिचित हो सके और उन शिल्पियो और कलाकार के राज के अनुसार १६ मी० ६, से निकलती है। गणित ज्ञान को सराह मके जिन्होंने मति के समचतुरन कि मि. वोरिंग १८६५ का माप प्राय: प्रचलित है निर्माण में कही भी त्रुटि नहीं की और जो भाग जिस इसलिए उनके अनुमार विभिन्न अंगों का माप मोटर जगह जितना लंबा-चौडा, ऊँचा-मोटा होना चाहिए पा सेंटीमीटर मे निम्न प्रकार है। चरण से कर्ण के पषोभाग उसे उतना ही रखा उममे रंच मात्र भी अंतर नहीं माने तक १५ मी० २४ से० । कर्ण के प्रधोभाग से मस्तक तक दिया। पोर मति की सुघडाई एवं मौन्दर्य में तनिक सी भी लगभग १ मो०१८ से० । चरण की लम्बाई २ मी. पटि नहीं प्राने दी। अन्यथा मनुष्य तो भूलो का पुतला है ७४ से। चरण के अग्रभाग की चौडाई १ मी० ३७ से। कही भी भूल हो सकती थी पर इसे देवी अनुकम्पा और प्रभु चरण का अंगुष्ठ ८४ से० । पादपृष्ठ को ऊपर की गुलाई का वरदान समझना चाहिए और शिपियो की भगवद्भक्ति १ मी ६३ से। जघा की प्रर्घ गुलाई ३ मी० ५ से। एवं मनोयोग पूर्वक की गई साधना और तपस्या ही उन्हे नितम्ब से वणं तक ७ मी०४७ से। पृष्ठ पस्थिके इम शुभ कार्य में सफलता दिला सकी। मोर वे शिल्पी अधोभाग से कणं तक ६ मो० १. से। मानि ग्राज हजार वर्ष बाद भी कोटि-कोटि जनों के बंदनीय है के नीचे उदर की चौड़ाई ३ मी० पौर भविष्य में भी जब तक भ. बाहुबली की प्रतिमा कटि की चौड़ाई ३ मी० ०५ से० । कटि पोर विद्यमान रहेगी वे गिल्पो कोटिशः वन्दनीय रहेंगेमोर भारत टेहुनी से कणं तक ५ मो० १८ से० । बार मल का मति निर्माण का इतिहास उन्हे कदापि न भुला सकेगा। से कर्ण तक २ मी० १३ मे० । वक्षस्थल की घोडाई ७
उपर्यक्ल पं० शान्त गज के हस्त एवं प्रांगुल माप को मो० ९२ से० । ग्रीवा के मधोभाग में कर्ण तक ७६ से। फट इंच मे बदलने के लिए १८ इच का (हस्त) तथा तर्जनी को लम्बाई १ मी. ०७ स० । मध्यमा की लम्बाई १.४ अंगुल का एक इंच यदि मान लें तो करीब-करीब १मी०६० से० । प्रनामिका की लम्बाई १ मी. ४.से. प्रतिमा की ऊंचाई का मेल खा जाता है। प्रभी डा.जमेन्द्र कनिष्ठिका की लम्बाई ५१ से० । जैन इन्दोर ने साप्ताहिक हिन्दुस्तान के वर्ष ३१ अंक में
इतने पर भी मेरा विश्वास प. शान्तराज के माप (७ मे १३ दिसवर ८०) में बावनगजा का लेख लिखते पर प्रषिक है प्रत: उस कोई गणित विशेषज्ञ विद्वान मौ० हुए इस प्रतिमा की ऊचाई १७.२ मीटर दी हुई है पं० से.में परिवर्तित कर नई पीढ़ी के लिए विशेष मार्गदर्शन शान्तराज के अनुसार इसकी ऊंचाई १६.६६६ मीटर करेगा। मैं श्री लखमीचंद जी सीहोर से अनुरोध करूंगा निकलती है बहरहाल पुरातत्व विदों से पनुरोध है कि इस कि वे इस कार्य को सुगमता से कर सकेंगे। वर्ष में इस प्रतिमा का स्टेन्ड माप प्राचीन मापों का अंत: मैं इस लेख के लिए स्व.हा. हीरालाल बी तुलनात्मक अध्ययन कर सृनि हिचत अवश्य ही करमा
मागपुर का प्राभारी हूं जिनके द्वारा मकलित सामपीका पाहिए जिमसे पाने वाली भावी पीढ़ी किसी तरह के प्रम
000 मेन रहें। मैंने विभिन्न मापों को मीटर सेंटीमीटर मे
श्रुतकुटीर, ६८ कुम्ती मार्ग, बावल का जो दुस्साहस किया है उसे सुविज्ञ सुधी पाठक
विश्वासनगर, शाहदरा दिल्ली-११००३२