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२८, बर्ष १३, कि..
पपः शऱ्या ख्यातः, कुले 'हंबर्ड' संज्ञके ॥२॥ तस्मिनवंशे दादनामा प्रसिद्धो, भ्राता जातो निर्मलाख्यस्तदीयः। सर्वज्ञेम्यो यो दो सुप्रतिष्ठा, तं दातारं को भवेत् स्तोतुमीश ? ॥३॥ बावस्य पत्नी भूमिमोक्लाल्या, शोलाम्बुराशेः शुचिचंदरेखा । तंत्रदनचाहणिदेविभर्ता, पालनामा महिमधाम ॥४॥ ताम्यां प्रसूतो नयनाभिरामो, मंडाकनामा तनयोविनीतः । श्रीजनधर्मेण पवित्रदेहो, दानेन लक्ष्मी सफलां करोति ॥५॥ हान-जासलसंज्ञकेस्य सुभगे भायें भवेता द्वये मिथ्यात्वमदाहपावकशिखे, सद्धर्ममार्गे रते । सागारव्रतरक्षणकनिपुणे, रत्नत्रयोद्भासके कद्रस्येवनभोनदी-गिरिसुते लावलीलायुते ॥६।। श्रीकंदकुंवस्य बभूव वशे, श्री रामचन्द्रः (व:) प्रथितप्रभावः ।।७।। प्रद्योतते संप्रति तस्य पट्ट, विद्याप्रमावेन विशालकीतिः । शिष्य रनेकै रुपसेव्यमान, एकांतवादाद्रिविनाशवजं ॥८॥ जयति विजयसिंहः श्रीविशालस्य शिष्यो जिनगुणमणिमाला, यस्य कंठे सदव । ममितमहिमशशेधर्मनाथस्य काव्यं
भनेकान्त
निजसुकृतनिमित्तं तेन तस्मै वितीर्णम् ॥४॥
पाटण भण्डार की ताडपत्रीयप्रति नं० ३६४ में 'प्रमेय. कमलमार्तण्ड' प्रथम खण्ड की (२७८ पत्रों की प्रति) है। उसके अन्त मे इतना सा ही लिखा हुमा है-प्रमेयकमलमार्तडः खडः हीवाभार्याश्रा० पौंच सरकः ।
पाटण के खरतरवमहि में शुभचन्द्र के 'ज्ञानार्णव' की २०७ पत्रो की ताडपत्रीय प्रति है जिनकी लेखन प्रशस्ति विस्तृत होने से यहा नही दी जा रही है। केवल अंतिम दो पक्तियां ही दी जा रही हैं. जिसमें लेखन संवत दिया हुया है-सवत १२८४ वर्षे वंशाप शुदि १० शुक्रे गोमडले दिगम्बर गन कुल सहस्रकीतिस्यार्थे प० केशरि सुनवोसलेन लिखितमिति ।
जहां तक मेरी जानकारी है इन दिगम्बर ग्रन्थों की इतनी प्राचीन प्रतियां दिगम्बर शास्त्र भण्डारी में भी नहीं है। प्राचीन ग्रन्थों के सम्पादन में प्राचीन व शुद्ध प्रतियों को अत्यन्त प्रावश्यकता होती है। बीच-बीच में मुझे कई प्राचीन ग्रन्थ सम्पादकों- दिगम्बर विद्वानो ने पूछा भी था कि प्रभुक ग्रन्य की कोई प्राचीन व शुद्ध प्रति ध्यान में हो तो सूचित करें बहुत बार प्रति के लेखकों की प्रसावधानी से गलन या अशुद्ध पाठ लिख दिया जाता है, कही पाठ छट जाता है। कही किसी के द्वारा जोड दिया जाता है। इमलिए ग्रन्थ सपादन के समय कई प्रतियो को सामने रख कर शुद्ध पाठ का निर्णय किया जाता है। पाटण भण्डार सूची को प्रकाशित हए ४३ वर्ष हो गये पर अभी तक उपरोक्त दि० ग्रन्थो की प्राचीनतम प्रतियो का किसी ने उपयोग नही किया।
. नाहटो की गधाड़, बीकानेर
अनकान्त
गोम्मटेश्वर बाहुबली विशेषांक 'अनेकान्त' का आगामी अक 'गोम्मटेश्वर बाहुबली विशेषाक' होगा। दो खण्डों में विभक्त इस विशेषाक के प्रथम खण्ड मे, भगवान बाहवली के अलीकिक दिव्य व्यक्तित्वके विविध पक्षो पर लेखादि तथा द्वितीय खण्ड मे जैन-साहित्य, सस्कृति एवं इतिहास पर मौलिक गवेषणापूर्ण सामग्री सम्मिलित होगी।
'अनेकान्त' को सदा आपके महत्त्वपूर्ण सहयोग का गौरव प्राप्त रहा है। अत आपसे सानुरोध निवेदन है कि इस विशेषाक के लिए कृपया शीघ्रातिशीघ्र अपने शोधपूर्ण लेख, चित्र आदि भेज कर अनुगृहीत करे ।
-सम्पादक