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________________ ६. कि० ३.४, वर्ष १ अनेका इंडियन चेम्बर माफ कामर्स, इंडियन शुगर मिल्स एसो- दान दिया है। माप अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थसिएशन, इंडियन पेपर मिस्स एसोसिएकस, बिहार चेम्बर क्षेत्र कमेटी, बम्बई तथा पहिसा प्रचार समिति, कलकत्ता, माफ कामर्स एण्ड इन्डस्ट्री, राजस्थान चेम्बर माफ कामर्स अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद् एवं मारवाड़ी एण्ड इन्डस्ट्री, ईस्टर्न यू० पी० चेम्बर आफ कामर्स एण्ड रिलीफ सोसायटी तथा भारत जैन महामंडल के अध्यक्ष इन्डस्ट्री। चार वर्ष तक लगातार पाप माल इंडिया प्रार्गे- रह चुके थे। नाइजेशन माफ इंडस्ट्रियल एम्पलायर्स के भी अध्यक्ष रहे भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव के और इसी अवधि में, भारतीय श्रमव्यवस्था सम्बन्धी नियम कार्यक्रमों को सफल बनाने में प्रापका सर्वाधिक योगदान बनते समय प्रापने उद्योय-धन्धों का व्यावहारिक दृष्टि- रहा है। जैन समाज के चारों सम्प्रदायों की मोर से कोण उपस्थित किया। गठित भगवान महावीर २५००वां निर्वाण महोत्सव महाअपनी विशिष्ट प्रतिभा-सम्पन्नता तथा व्यापक प्रन- समिति के प्राप कार्याध्यक्ष थे। भारत की सम्पूर्ण दि. भव के कारण साहू जी देश के उद्योग एवं व्यवसाय वर्ग जैन समाज की प्रोर से गठित पाल इडिया दिगम्बर द्वारा अनेक अवसरों पर सम्मानित किये गये । स्वर्गीय प. भगवान महावीर २५००वां निर्वाण महोत्सव सोसाजवाहरलाल जी ने देश की प्रौद्योगिक प्रगति की बैज्ञानिक यटी एवं बगाल प्रदेश क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष के रूप परिकल्पना को कार्यान्वित करने के लिए जो प्रथम राष्ट्रीय में प्रापने देश-व्यापी सांस्कृतिक चेतना को जागति किया। समिति बनाई थी उसमें देश के तरूण प्रौद्योगिक वर्ग का भारत सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय समिति और बिहार प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रापको इसका सदस्य बनाया तथा बंगाल की समितियों में भी मापने महत्वपूर्ण पदों था । का दायित्व तन्मयता से सम्भाला। निर्वाण महोत्सव के साह साहब को भारतीय धर्म दर्शन और इतिहास तथा बहुमुखी कार्यक्रमों को मापने चिन्तन, उत्साहपूर्ण नेतृत्व सांस्कतिक विषयो के अध्ययन में भी अतिरिक्त रुचि थी। पौर मुखर श्रद्धा के प्रत्यक्ष प्रभाव से उपलब्धियों का जो भारतीय कला एवं पुरातत्त्व के क्षेत्र में भी वे साधिकार वरदान दिया है वह जैन समाज के इतिहास में चिरचर्चा किया करते थे। धार्मिक श्रद्धा मे वे अडिग थे । भार- स्मरणीय रहेगा। तीय भाषामों एवं साहित्य के विकासोन्नयन की दिशा में समाज ने अपनी श्रद्धा स्वरूप प्रापको 'दानवीर' तथा पापका पति विशिष्ट योगदान रहा। मापके द्वारा सन् 'श्रावक-शिरोमणि' की उपाधियों से सम्मानित किया। १९४४ मे भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना एवं अपनी सह- उनके निधन से श्री साहूजी के बड़े भाई श्री श्रेयांसप्रसाद धमिणी स्वर्गीया श्रीमती रमा जैन के साथ उसकी कार्य जैन को, साहू जी के बड़े पुत्र श्री अशोककुमार जैन, मंझले प्रवृत्तियां, विशेषकर उसके द्वारा प्रवर्तित भारतीय भाषामों पुत्र श्री पालोकप्रकाश जैन एवं कनिष्ठ पुत्र श्री मनोजकी सर्वश्रेष्ठ सृजनात्मक साहित्यिक कृति पर प्रतिवर्ष कुमार जैन को, उनकी पुत्री श्रीमती अलका जालान एवं एक लाख रुपये की पुरस्कार योजना की परिकल्पना मोर सारे परिवार को जो मर्मान्तक प्राघात पहुंचा है उसके अब तक ११ पुरस्कारों के निर्णायों को कार्यविधि मे मन- प्रति समाज की सहज सम्वेदना उत्प्रेरित है। वास्तव में, वरत रुचि एवं मार्गदर्शन, उनकी दूरदर्शिता एव क्षमता उनका देहान्त सामाजिक इतिहास का एक युगान्त है। के बहुप्रशंसित प्रमर प्रतीक हैं। ज्ञानपीठ के अतिरिक्त मेरा उनका साय लगभग सन् १९५० से था। जैन मापने साहू जैन ट्रस्ट, साहू जैन चैरिटेबल सोसायटी तथा समाज की गतिविधियो मे मुझे उनके साथ कार्य करने का अनेक शिक्षण संस्थानो की भी स्थापना की। वैशाली, बहुत अधिक अवसर मिला। उनके निधन से मुझे तो प्राकृत, जैन धर्म एव पहिसा शोष-सस्थान को तथा प्राचीन अपार क्षति हुई है। मैं उनके चरणो अपने श्रद्धा के सुमन तीर्थों एव मन्दिरो मादि के जीर्णोद्धार मे मापने प्रचुर मथ- अपित करता हूं। C00
SR No.538031
Book TitleAnekant 1978 Book 31 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1978
Total Pages223
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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