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तीबंकरों की प्राचीन प्राचीन रत्नमयी प्रतिमायें :विविध सन्दर्भ
का स्वर्णमयी मन्दिर बनवाकर शांतिनाथ की रत्न- १६. अमरावती के सोमेश्वर चौक के जंन मन्दिर मे मयी प्रतिमा विराजमान कर रखी थी।
रत्नों की प्रतिमा है। -प्राचार्य रविसेन : पद्मपुराण
पहिसावाणी, मार्च १९७०, पृ०८० ७. महाराजा श्रेणिक-बिम्बसार की पट्टरानी चेलना ने १७. देहलो दि जैन नये मन्दिर, धर्मपुरा में स्फटिक, रत्नों की मूर्तियां स्थापित करायी।
नीलम मरक्त, रत्नो प्रादि की १०५२ ई० हो यसल - श्रेणिक चारित्र
वंशी सम्राट् विनयदित्य के राजकाल की प्रतिष्ठित ८. चन्द्रगुप्त मौर्य ने तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ की
प्रतिमायें है। मूति रस्न को बनवाई।
-देहली जैन डायरेक्टरी पृ० २८ -जन मूर्तियों का प्राचीन इतिहास १८. देहली दि० जैन बड़ा मन्दिर कूचा सेठ मे ऋषभदेव, ६. सोलकीवंशी सम्राट कुमारपाल ने अनेक जैन मन्दिर
मल्लिनाथ, वासपूज्य, शातिनाथ, कुंथनाथ, अरहनाथ बनवाकर उनमे हीरे-पन्ने भादि की मूर्तिया स्थापित की। स्फटिक मादि बहुमूल्य पाषाण की कई प्रतिमाये हैं।
यथापूर्वोक्त
-- देहली जैन डायरेक्टरी १० ३० । १०. मौर्य सम्राट सम्प्रति ने अपने राज्य मे अनेक जैन १६. देहली की मस्जिद खजर गली का जैन मन्दिर मुगल मन्दिर बनवाकर हीरे-पुखराज, रत्न और स्वर्ण की
सम्राट् मोहम्मद शाह के सेनापति का बनवाया हुमा प्रतिमायें विराजमान की। - यथापूर्वोक्त है जिसमे कई प्रतिमायें रत्नों की है। ११. हश्चिमीय चालुक्य वंश के महाराजा तेलप के सेना
--देहली जन डायरेक्टरी २७ पति मल्लप की पुत्री प्रतिमव ने तीर्थकरों की सोने- २०. देहली मोडल बस्ती जैन मन्दिर मे अष्टधातु मति चांदी को हजारो मूर्तियाँ बनवाकर स्थापित की।
है जिसमें स्वर्ण ही अधिक मात्रा मे है । -सक्षिप्त जैन इतिहास, भाग ३, खण्ड ३, पृष्ठ १५७-५८
-देहली जैन डायरेक्टरी पृ० ३३
२१ अचलगढ़ (प्राबु, राजस्थान) मे ११४० मन की १२. मूड बद्री (मैसूर) के जैन मन्दिर मे आज भी एक
१२० पंचधातु की प्रतिमाये है जिसमें अधिक मात्रा चाँदी की, तीन स्वर्ण की, ६ स्पटिक की, ७ पन्ने
में स्वर्ण ही है।
- होली प्राब की, १ लकड़ी की, एक रत्न की, १ पुखराज की, ४
२२. श्रवणबेलगोल (ममूर) मन्दिर मे मूगा, मोती, नीलम की, २ मोतियो को, ३ मगे की भोर ३ माणक
नीलम, मणी, स्फटिक, हीरे और रत्न की प्रतिमायें है। एवं ३ हीरे की इस प्रकार ३५ बहुमूल्य प्रतिमायें है।
-रहनुमाए जन यात्रा, पृ० १६० -रहनमा-ए-जैन यात्रा, पु० १६० ,
२३. लुधियाना मे ६ इच ॐवी हरे रंग को जमुरद की १३. कारंजा (अमरावती) मे रत्नों, हीरे, पन्ने, नीलम
एक बहुमूल्य मूर्ति पार्श्वनाथ की है। की अनेक दर्शनीय मूतिया १५२० ई० की लोदी राज की है।
२४. वाराणसी के भाट मोहल्ले में सेठ धर्म चन्द जौहरी अहिंसावाणी १९७०, पृ००।
के चैत्यालय में पार्श्वनाथ की हीरे की दर्शनीय १४. इसी अमरावती मन्दिर में मंग की ४, चादी की ३
प्रतिमा है। स्वर्ण की १, गरुणमणि की१, स्फटिक की ४,नीलमणि की २५. गोबिन्दपुर मोहल्ले में सेठ मूरजमल के चैत्यालय मे १-इस प्रकार १४ प्रतिमायें है।
पार्श्वनाथ की बड़ी मनोज्ञ स्फटिक की प्रतिमा है। -देहली जैन डायरेक्टरी २४५
__ ---देहली जैन डायरेक्टरी पृ० २२६ १५. अमरावती के एक मन्दिर में १५ स्फटिक, १ पुखराज २६. मिदनापुर जिला तामलुक (बंगाल) के चैत्यालय में
की ६ चांदी की, १ मूगे की, १ हीरे की और कई पार्श्वनाथ को रत्नमयी मूर्ति है। रत्नों की मूर्तियाँ है।
-सम्मति सन्देश, सितम्बर १६६३, पृ० १५ -देहली जन डायरेक्टरी, पृ०, २४१
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