SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन. कला विषयक साहित्य चित्र, मूर्ति एवं स्थापत्य कलाकृतियों के सुन्दर वर्णन या विवरण उपलब्ध हैं । आधुनिकयुगीन कला-साहित्य में : ( १ ) प्रथम तो पुरातात्त्रिक सर्वेक्षण, उत्खनन, शोध-खोज द्वारा विभिन्न प्रदेशों या प्राप्त पुरावशेषों, कलाकृतियों शादि के विवरण हैं । गत शताब्दी के उत्तरार्ध में जनरल अलेक्जेण्डर कनिंघम व उसके प्रायः समकालीन अन्य सर्वेक्षकों की बृहत्काय रिपोर्टों में भारतवर्ष के विभिन्न भागों में विश्वरी कलाकृतियों का प्राकलन हुआ। फुहरर ने १८९१ में तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तर प्रदेश) क पुरावशेषों का जिलेवार विवरण दिया था। अन्य कई विद्वानो ने उसी प्रकार अन्य कई प्रदेशों का विवरण दिया । तदनन्तर भी पुरातत्व विभाग की रिपोर्टों, बुलेटिनो प्रादि में नवीन जानकारी में आयी सामग्री दी जाती रही है । स्वभावत इन समस्त विवरणों में तत्तत् प्रदेशों में प्राप्त जैन कलावशेष भी समाविष्ट हुए । स्व० प्र० शीतलप्रसादजी ने वैसी रिपोर्टों के प्राधार से ही मद्रास, मैसूर, बम्बई, सयुक्त प्रान्त ( उ० प्र०) श्रादि कई प्रान्तों के प्राचीन जैन स्मारकों पर पुस्तकें लिखी थी व प्रकाशित की थी। (२) दूसरे, भारतीय इतिहास सम्बन्धी विविध प्राधुनिक ग्रन्थों में विभिन्न युगों की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत करने के निमित्त तत्सम्बन्धित कलावैभव की समीक्षा व उल्लेख भी रहता है, और उनमें भी जैन- कलाकृतियाँ अल्पाधिक सम्मिलित की ही जाती है । इस प्रकार इंडियन एन्टीक्वेरी, रायल एशियाटिक सोसाइटी की विभिन्न शाखाओ के जर्नल, अन्य ऐतिहासिक-सांस्कृतिक शोधपत्रिकाओं में भी प्रसंगवश जैनकला का विवेचन होता रहा है। (३) तीसरे, कई प्रौढ़ कला मर्मज्ञों ने भारतीय कला पर बृहत्काय विवेचनात्मक ग्रंथ रचे है, यथा बर्गेस, फर्गुसन, हैवेल, स्मिथ, कुमारस्वामी, पर्सी ब्राउन, स्टेला मरिश, बाखोफेर, फ्रैंकफोर्ट, हैनरिख जिमर, बेनजमिन शेडेफ, लुइसफ्रेडरिक श्रादि ने। इन सभी विद्वानों ने ब्राह्मण मोर बौद्ध के साथ ही साथ जैन- कलाकृतियों पर ८५ भी प्रकाश डाला समीक्षा की, तुलनात्मक अध्ययन किया और मूल्यांकन भी किया। (४) अनेक जनेतर एवं जैन कलामर्मज्ञों एवं विद्वानों ने विभिन्न स्थानीय जन-कलाकृतियों पर अथवा विविध या विशिष्ट जैन- कलाकृतियों पर अनगिनत लेख लिखे है । इस सम्बन्ध में उल्लेखनीय नाम हैं- बोगेल, न्हूलर, बर्गेस, कनिन्स, क्लाउज खून, काशीप्रसाद जायसवाल, पार० डी० बनर्जी, ए० बनर्जी शास्त्री, भगवानलाल इन्द्रजी, बी० एम० बरुम्रा, डी० भार० भंडारकर, रामप्रसाद चंदा, वासुदेवशरण अग्रवाल, दयाराम साहनी, मोतीचन्द्र, एच० डी० साकलिया, कृष्णदत्त बाजपेयी, नी० पु० जोशी, एम० ए० ढांकी, भार० सो० अग्रवाल, बी० एन० श्रीवास्तव, देवला मित्रा, आर० सेनगुप्ता, रमेशचन्द्र शर्मा, शैलेन्द्र रस्तोगी, उ० प्र० शाह, मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी, शिव कुमार नामदेव, विजय शंकर श्रीवास्तव, ब्रजेन्द्रनाथ शर्मा, तेजसिंह गोड़ प्रभृति जैनेतर विद्वान् तथा बाबू छोटेलाल जैन, कामताप्रसाद जैन, विशभरदास गार्गीय, नीरज जैन, गोपीलाल अमर, मगरचन्द नाहटा, के० भुजबल शास्त्री, बालचन्द्र जैन, भूरचन्द जैन आदि जैन लेखक उल्लेखनीय है । स्वयं हमारे दर्जनों लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, स्मारिकाओंों, ग्रन्थों मादि में जैनकला पर प्रकाशित हो चुके हैं। जैन पत्रिकाओं में से जैन सिद्धान्त भास्कर, जैन एन्टीक्वेरी, अनेकान्त, अहिंसावाणी, वायस ग्राफ हिंसा, शोधाङ्क, श्रमण, जैन जर्नल में विभिन्न लेखकों के जैन कलाविषयक लेख, कभी-कभी सचित्र भी, बहुधा निकलते रहें है । (५) जैनकला विषयक विशिष्ट एव उल्लेखनीय ग्रन्थों में निम्नोक्त गिनाये जा सकते है - १. २. ३. विन्सेण्ट स्मिथ - जैन स्तूप एड ग्रदर एण्टीक्विटीज ग्राफ मथुरा ( इलाहाबाद, १६०१ । ए० एच० ल गहर्स्ट- हम्पी रूइन्स (मद्रास १९१७ ) एम० एम० गांगुली - उड़ीसा एण्ड हर रिमेन्स, एन्शेण्ट एण्ड मेडिवल (कलकत्ता १९१२ ) ४. नार्मन ब्राउन - १९१८ और १९४१ के बीच प्रकाशित जैन चित्रकला पर पाँच पुस्तकें । ५. साराभाई नवाब- जैन चित्र कल्पद्रुम, ३ भाग
SR No.538030
Book TitleAnekant 1977 Book 30 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1977
Total Pages189
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy