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________________ मगध और जैन संस्कृति 7 विद्यावारिधि डा. ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ वर्तमान भारतीय संघ के बिहार राज्य की पटना कर इस प्रदेश पर अपना राज्य स्थापित किया था। उसके कमिश्नरी (डिवीजन), विशेषकर उसके पटना एव गय' बहुत समय पश्चात् कुरु की पांचवी पीढी मे उत्पन्न वसु जिलों तथा हजारीबाग एवं शाहाबाद (पारा) जिलों के नामक राजा ने यदु के वंशजो की चेदि शाखा को विजित बहभाग में व्याप्त क्षेत्र, इतिहास में मगध नाम से प्रसिद्धा करके 'चंद्योपरिचर" उपाधि धारण की और विशा हना था। भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास में मगध देशक साम्राज्य स्थापित किया जिसका विस्तार मत्स्यदेश पर्यन्त नाम स्वर्ण अक्षरो में अंकित है। जैन पुराणों में वर्णित पूरे मध्य देश पर रहा बताया जाता है। उसकी मृत्यु के ५३ देशों अथवा २५३प्रार्य देशों, महाभारत में उल्लि. उपरांत राज्य उसके पांच पुत्रों में विभक्त हो गया, जिनमें खित १८ महाराज्यों, जैन भगवती सूत्र के १६ जनपदों बहद्रथ ममध के बाहद्रथ वंश का संस्थापक हुमा । संभ और महावीर-बुद्ध-कालीन षोडश महाजनपदों में मगध वत्तया इसी के समय से देश का मगध नाम भी प्रसिद्ध परिगणित है । स्थानांग एवं निशीथ सूत्रों में उल्लिखित हना। ऐसा भी संकेत मिलता है कि मग नामक राजा ने भारत की दशा महाराजधानियों और बौद्ध 'दीर्घनिकाय' उस स्थान पर, जो कालान्तर में कुण्डलपुर, नालन्दा और के 'महासुदरसन सुत्त' में वणित छ: महानगरियों में मगध बड़ागांव कहलाया, अपनी राजधानी बनाई थी जिसका की प्रसिद्ध राजधानी राजगृह सम्मिलित है। नाम उसने सम्भवतः मगधपुर रखा । तदनन्तर उससे सीमा एवं विस्तार : नातिदूर पंच पहाड़ियों से घिर सुरम्य एवं सुरक्षित भू-भाग सामान्यतया मगध जनपद की उत्तरी सीमा में उसने अपना दुर्ग एवं राजमहल बनाये और वह स्थान गंगानदी बनाती थी, जिसके पार (उत्तरी बिहार में) राजगह कहलाया तथा शनैः शनैः वही देश की राजधानी विदेह जनपद अवस्थित था। मिथिला और वैशाली बन गया। इसी मग के नाम पर देश की संज्ञा मगध हुई । उसकी प्रसिद्ध नगरियां थीं। मगध के पूर्व मे अंग देश यह सम्भव है कि उपरोक्त बृहद्रय या उसके पुत्र का था जिसकी राजधानी चम्पापूरी थी। चम्पा प्रपरनाम अथवा जरासंध का ही मूल या तत: प्रसिद्ध नाम मग रही चंदना नदी इन दोनों जनपदों को पृथक करती थी। हो । राजधानी तो सम्भवतया वसु-चैद्योपरिचर के समय पड़ोसी अंग देश के साथ मगध के कुछ ऐसे घनिष्ठ सम्बन्ध से ही राजगृह हो गयी थी। विभिन्न जनाजन अनुश्रुतियों में पांच पहाड़ियों से घिरी इस महानगरी के अपरनाम रहे कि बहुधा अंग मगध का एक युगल के रूप में भी उल्लेख हा है। मगध के दक्षिण में मणि और मलय नाम गिरिव्रज, पंचशैलपुर, मगधपुर, चणकपुर, ऋषभपुर, क्षितिके दो छोटे-छोटे जनपद थे और पश्चिम में काशी जनपद, प्रतिष्ठित और कुशाग्रपुर प्राप्त होते है । उक्त पहाड़ियों उत्तर-पश्चिम में कोशल अपर नाम कुणाल देश (राज के नाम विपुलगिरि (विपुलाचल), रत्नगिरि, उदयगिरि, घानी श्रावस्ती) और दक्षिण-पश्चिम में वत्सदेश (राज स्वर्णगिरि एवं वैभारगिरि थे। कहीं-कही इनके नामांतर घानी कौशाम्बी) अवस्थित थे। भी मिलते हैं। महाभारत-काल में उपरोक्त बृहद्रथ का वंशज, जिसे कही-कही वसु का पौत्र, प्रत: बृहद्रथ का पुत्र इतिहास : कहा है, प्रबल प्रतापी राजगृह नरेश जरासंध था। ___ इस प्रदेश की सर्व-प्राचीन नगरी मंभवतया गया इस प्रकार मगधराज्य और राजधानी राजगृह का थी, जिसे ब्राह्मणीय पुराणों के अनुसार, जन्तु की पांचवीं अभ्युदय पुराणकाल में ही निष्पन्न हो चुका था, परन्तु या छठी पीढ़ी में उत्पन्न गय नामक राजा ने बसा- शुद्ध इतिहास काल में भी मगध साम्राज्य को ही भारत
SR No.538028
Book TitleAnekant 1975 Book 28 Ank Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1975
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size15 MB
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