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राजस्थान के जन कवि और उनकी रचनाएं
પૂર
४. आराधनासार'। ५ मुनीश्वरों की जमाल'। प्रखंराम६. राजुल सज्झाय'। ७. विनती।
प० अखेराम ने आमेर के भट्टारक महेन्द्र कीति के ८. विवेक जकडी'। ६. सरस्वती जयमाल।
गद्दी पर बैठने पर उस उत्सव की "जकडी' की रचना १०. पद।
की है। इसमे तत्कालीन परिस्थितियो का चित्रण है। विजयनाथ माथुर ..
यह समय स० १७६२ के आसपास का था, क्योकि महेन्द्रये टोडा नगर के निवासी थे । इन्होने जयचन्द्र
कीति पौष शुक्ला १० सं० १७६२ में गद्दी पर बैठे थे । छाबड़ा के पुत्र ज्ञानचन्द के कहने से सकलकीति के वर्द्ध
अबराम के नाम से अनेक पद तथा 'शील तरगिणी' मानपुराण का पौष कृष्ण १० स० १८६१ को पद्यानुवाद
नामक एक कथा भी मिलती है। किया।
उदयराम----
उदयराम भट्टारक अनन्तकीर्ति के समय में हुए थे। नेमीचन्द पाटणी---
इन्होंने अनन्तकीति के चातुर्मास का वर्णन दो जकडियों में इनके पिता का नाम रत्नचन्द्र था। ये जयपुर के
किया है। इन जकडियो मे गेयता है और साथ ही ऐतिअलावा अहिपुर अमरावती एवं इन्दौर आदि स्थानों पर
हासिकता भी। जकड़ियों के अलावा इनके कुछ पद भी भी रहे। जयपुर में इनका निवास स्थान अमरचन्द दीवान
उपलब्ध हुए है। मंदिर में था। इनकी निम्नलिखित ३ रचनाए उपलब्ध
किशनसिंह पाटणी
किशनसिंह पाटणी का मूल निवास स्थान बरबाडा १ चतुर्विंशति तीर्थकर पूजा" (भादव। मुदि १० प १८८०) (मवाई माधोपुर) के पास रामपुर नामक गाँव था। २. तीन चौवीसी पूजा (कार्तिक सुदि १४ सं० १८६८) इनके पिता का नाम सुखदेव था। इनका गोत्र पाटणी ३ नोन लोक पूजा'' (स० १६२१)
तथा पद मगी था। कालान्तर मे किशनसिह सागानेर १. राज. के जैन शास्त्र भंडारों की हस्तलिखित पाकर रहने लगे और यही उन्होने ग्रथ रचना की। उप___ खोज - पृ० ७५७ ।
लब्ध इन रचनायो की सख्या लगभग १५ है२. वही, पृ० ६५८ । ३. वही, पृ० ७५० ।
१. णमोकार रास (स० १७६०) ४. वही, पृ० ७७५ । ५. वही, पृ० ७२२ ।
२. चौबीस दडक (१७६४) ६. वही, पृ. ६५८ ।
३. रात्रि भोजन कथा पद्य (१७७३) ७. वही, पृ० ५५८, ५८१ एवं ७६४ आदि ।
४ पुण्याश्रवकथाकोष (१७७२) ८. राजस्थान के हिन्दी साहित्यकार पृ० २६६ ।
५ भद्रबाहु चरित्र (१७८३) ६. साधर्मी जन मघ एक दिवस बैठे सभा।
६. पन क्रियाकोप (१७६४) भाषण को परमग, चर्चा सबै पुरान की।
७. लब्धिविधान कथा (१७८२) भाषा और पुराण की रची छंद के माहि ।
८. निर्वाण कांड (१७८३) वर्द्धमान पुराण की भापा है जू नाहि ॥
६. एकावली व्रत कथा .- वर्द्ध मानपुराण की प्रशस्ति ।
१०. चेतनलोरी १०. वीरवाणी।
११. गुरुभक्ति गीत
१२. जिन भक्ति गीत ११. यह ग्रंथ बाबा दुलीनन्द के भंडार के बे० स० १४४ ।।
१३. चेतनशिक्षा गीत पर है।
१४. चतुर्विशति स्तुति १२. यह ग्रंथ शास्त्र भंडार, बाबा दुलीचन्द भडार के बे० १५. श्रावक मुनी गुण वर्णन गीत । सं० २७५ पर है।
१. हिन्दी जैन साहित्य का इतिहास-नाथू राम प्रेमी पृ० १३. राजस्थान के हिन्दी साहित्यार पृ० २६६ ।
६८-७१ ।