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________________ राजस्थान के जैन कवि और उनकी रचनाएं १०. नन्दीश्वर पंचमेरू पूजा जब जयपुर मे शान्ति हुई तब वापिस लौट आये। तत्का११. कर्मदहन पूजा लीन परिस्थितियों का कवि ने स्वरचित काव्यों में यत्र१२. बुधप्रकाश छहडाला। तत्र चित्रण किया है । आपकी दो रचनाएं उपलब्ध है :डालूराम १ रत्नकरड श्रावकाचार ( चैत्र कृष्णा ५ सं० ये माधवराजपुरा (जयपुर) के निवासी अग्रवाल जैन १८२१)। थे। ये दीवान अमरचन्द जी के सम्पर्क मे रहे है । आपकी २. सुबुद्धि प्रकाश (फाल्गुन कृ०६ सं० १८४७)। रचनाओं की सख्या १८-१६ है जिनमे पूजा साहित्य देवीसाद गोधा-- अधिक मात्रा में है। पाप दोहा, चौपाई, सवैया, पद्धरि, इनका जन्म बसवा में चिमनीराम गोधा के घर हुमा सोरठा, अडिल्ल एवं कुण्डलिया ग्रादि विविध छन्दो के था। इन्होने (१) सिद्धान्तसार की वचनिका (फाल्गुन शु० प्रयोग मे कुशल है'। १० स० १८४४), (२) चर्चाग्रन्थ, (३) चिद्विलास तथा रचनामो के नाम ये है - (४) परमानन्द विलास की रचना की। १. पच परमेष्ठी पूजा (१८६२) १०. शिखर विलास नेमिचन्द सेठी २. पच परमेष्ठी गुणवर्णन ये आमेर के निवासी थे। इन्होने देवेन्द्रकीर्ति (माघ पूजा (१८६५) ११. पचकल्याण पूजा | शुक्ला ११, सं० १७७०) के गद्दी पर बैठने के अवसर पर जकडी लिखी। इसमे तत्कालीन दीवान रामचन्द्र एव ३. गुरु उपदेश श्रावकाचार १२ इन्द्रध्वज पूजा किशनचन्द आदि के नामोल्लेख भी हुए है। जकड़ी के भाषा (१८६७) १३. पचमेरु पूजा अलावा इन्होने वैशाख शुक्ला ११, स० १७७१ को ४. श्रीमत् सम्यक् प्रकाश भाषा १४. रत्नत्रय पूजा प्रीतकर चरित्र पूर्ण किया। (१८७१) १५ नेमि- पार्श्वनाथ लोहट-- ५ अढाईद्वीप पूजा (१८७६) इनका मूल निवास स्थान सॉभर (जयपुर राज्य) ६. अष्टान्हिका पूजा (१८७६) १६ चतुर्दशी कथा था। इनके पिता का नाम धर्मा था। इनकी निम्नलिखित ७. द्वादशाग पूजा (१८७६) १७. द्वादशानुप्रेक्षा रचनाये मिलती है - ८. दशलक्षण पुजा (१८८०) १८. पद आदि १ यशोधर चरित्र (१७२१) ५. पार्श्व पूजा ६. तीन चौबीसी पूजा (१८८२) २. पट्लेश्यावलि (१७३०) ६ पूजाष्टक थानसिंह ठोलिया ३. चौबीस टाणा (१७३६) ७ द्वादशानुप्रेक्षा इनका निवास स्थान सागानेर था। पिता का नाम ४. अठारह नाता का वर्णन ८. पार्श्वनाथ का गुणमाल श्रीलाल गगवाल-- मोहनराम था। इनके समय मे राजनैतिक एवं साम्प्रदा इनका जन्म जयपुर राज्य के डिग्गी कस्बे में हुआ। यिक उपद्रवो के कारण जयपुर का वातावरण प्रशान्त था। जैन समाज भी अपने आपको सुरक्षित नही पा रहा ये पचेवर गथे जहाँ इनकी साहिबराम से भेट हुई। उन्ही था। ऐसे समय में ये सागानेर छोड़कर भरतपुर चले गये । से इनको माहित्य रचना की प्रेरणा मिली। पचेवर से ये लखा गये और वही १८८१ मे 'बन्ध उदय रत्ता चौपाई' १. हिन्दी जैन साहित्य का सक्षिप्त इतिहास तथा मार्गशीर्ष कृष्णा ६, स० १६०५ मे चौबीसटागा - कामताप्रसाद जैन, पृ० २१७ । चौपाई नामक ग्रन्थ की रचना की। २. हिन्दी जैन साहित्य का सक्षिप्त इतिहास-नाथूराम सेवाराम शाहप्रेमी, पृ० ८०-८१ । ये मांगानेर निवासी बग्वतराम शाह के सुपुत्र थे । ३. हिन्दी जैन साहित्य का परिशीलन-नेमिचन्द्र जैन, घर में इन्हे माहित्यिक वातावरण मिला था। अतः पृ० २३४ । प्रारम्भ से ही साहित्य के प्रति रुचि होना स्वाभाविक पूजा
SR No.538026
Book TitleAnekant 1973 Book 26 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1973
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size14 MB
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