________________
६०, वर्ष २५, कि० २
अनेकान्त
प्रयत्न किया, किन्तु वह अपराजित हो रहा । तब गज-1 तक्षशिलाकुमार सेना लेकर अपराजित के नगर तक पहुंचा । दोनो। तक्षशिला पाकिस्तान मे वर्तमान रावलपिंडी जिले मे सेनामों में भयानक युद्ध हपा प्रौर गजकुमार ने अपरा- था। जनरल कनिधम के मतानुसार यह कला का सराय जित को पराजित कर दिया । नारायण श्रीकृष्ण ने इसका से एक मील, कटक और रावलपिंडी के बीच में और समुचित सम्मान किया।
शाहरी के निकट था। आजकल यहाँ इस प्राचीन नगरी किन्तु विजय पाकर गजकुमार उच्छङ्कल हो गया। के खण्डहर पड़े हुए है। इन खडहरो मे जो भी गाव के वह स्त्रियों का शीलभग करने लगा। एक दिन भगवान् नीचे है, वे तक्षशिला की सबसे परानी बस्ती के है। नेमिनाथ का समवसरण द्वारका नगरी में प्राया। भगवान् सेण्ट माटिन इसे हमन अस्दल, जो शाहघेरी से पाठ
सासनकर गजकुमार को बराप हो गया। उसने मोल दूर है, के उत्तर-पश्चिम में पाठ मीन दर भगवान के निकट मुनि-दीक्षा ले ली। फिर विहार करते बताना है। हुए गजकुमार मुनि गिरनार पर्वत पर पहुंचे। वहाँ वे इस नगर की स्थापना जैसा कि पहले बताया जा ध्यान लगाकर खड़े हो गये। वहाँ पामुल नामक व्यक्ति चुका है, श्री रामचन्द्र के भ्राता भरत ने अपने पत्र तक्ष
नाघोर उपसर्ग किये । सधियों में कील ठोक दी। के नाम पर की थी। तक्ष यहाँ का राजा' बनाया किन्तु फिर भी मुनिराज ध्यान से विचलित नहीं हुए। गया था। उन्होने समाधिमरण द्वारा शरीर का त्यागकर स्वर्ग प्राप्त कथा सरित्सागर के अनुमार तक्षशिला वितस्ता किया ।
(झेलम) के तट पर अवस्थित थी। -प्रागधना कथाकोष, कथा ५६ यह नगर कुछ समय तक गान्धार देश को भी राज
धानी रहा। उस समय गान्धार मे पूर्वी अफगानिस्तान अयोध्या नरेश त्रिदश जय नरेश के पुत्र जितशत्रु का
और उत्तर-पश्चिमी पजाब था । विवाह पोदनपुर नरेश व्यानन्द की पुत्री विजया के साथ हमा। जिनकी पवित्र कुक्षि से द्वितीय तीर्थ दूर भगवान
इस नगर पर सूर्यवंशी राजानों का बहुत समय तक अजितनाथ का जन्म हुआ।
अधिकार रहा । किन्तु तक्ष के वश में कौन-कौन राजा
हए, इसका कोई व्यवस्थित और प्रामाणिक इतिहास नही भगवान पाश्वनाथ अपने पूर्वभव में पोदनपुर के
मिलता। महाभारत युद्ध ने समूचे प्रार्यावर्त और विशेषराजा अरविन्द के पुरोहित विश्वभूति के पुत्र मरुभूति थे ।
कर पजाब के राज्यो को कमजोर कर दिया था। अत: उनका भाई कमठ था जो दुष्ट प्रकृति का था। मरुभूति की अनुपस्थिति में उसने मरुभूति की स्त्री के साथ दुरा
कही-कही उत्पात होने लगे थे। गान्धार देश के नागो ने चार किया। ज्ञात होते ही राजा ने कमठ को कठोर
तक्षशिला पर अधिकार कर लिया।
कहा जाता है, जिस दिन महाभारत युद्ध समाप्त हुमा दण्ड दिया मोर नगर से निकाल दिया। तब कमठ पोदन.
उसी दिन अभिमन्यु की स्त्री उत्तरा के गर्भ से परीक्षित पुर से चलकर भूताचल पर पहुँचा । वहा एक तापसाश्रम
का जन्म हुआ था। पाण्डवों के पीछे हस्तिनापुर की गद्दी में कुतप करने लगा।
पर परीक्षित बैठा। इस प्रकार अनेक पौराणिक घटनामो का सम्बन्ध
तक्षशिला के नाग धीरे-धीरे अपनी शक्ति बढ़ा रहे पोदनपर के साथ रहा है। किन्तु इतने प्रसिद्ध पार समृद्ध उन्होंने पजाब पर अधिकार कर लिया। फिर नगर का विनाश किन कारणों से और किस काल मे हो
पंजाब, लापकर, हस्तिनापुर पर भी उन्होने पाक्रमण गया पथवा प्रकृति के प्रकोप से नष्ट हो गया, इस संबध
कर दिया । अव कुरु राज्य इतना नि:शक्त था कि राजा में कोई स्पष्ट उल्लेख प्राचीन साहित्य में प्रथवा इतिहास थों में कही भी देखने में नहीं पाया।
१. रामायण, उत्तरकाण्ड, ११४.२०१ ।